विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरूआत 9 दिन पूर्व से होती है, जिसे शिवनवरात्र के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शिव नवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को शेषनाग धारण कराकर उनका श्रृंगार राजा स्वरुप में किया गया. महाकाल के शृंगार में भांग, सूखा मेवा, फल और रजत के शेषनाग से शृंगार किया गया साथ ही भगवान महाकाल को दूल्हा बनाने की परम्परा के अंतर्गत वे महाकाल शृंगारित दिखाई दिए. मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि द्वितीय दिवस फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष पर बाबा ने वस्त्र धारण कर वासुकी नाग रूप धारण किया है. जप तप के साथ बाबा का पूजन अभिषेक किया जा रहा है. अनंतनाग कहे जाने वाले शेष नाग रूप में महाकाल ने सारे ग्रहों को अपनी कुंडलियों में धरा हुआ है. मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने कहा कि शेषनाग रूप में बाबा के दर्शन करने से शक्ति मिलती है, जो मोह का बंधन होता है उससे मुक्ति मिलती है.
विवाह के तौर पर मनाई जाती है महाशिवरात्रि
उज्जैन में स्थिति महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इन नौ दिनों तक बाबा महाकाल का दूल्हा रूप श्रृंगार किया जाता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन करते हैं. मान्यता है कि नौ दिन तक बाबा महाकाल के दूल्हा स्वरूप में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
ढोल-नगाड़ो के साथ होती है भव्य आरती
शिव विवाह की अलग अलग रश्मे मंदिर मे निभाई जा रही है. इस दौरान ढोल-नगाड़े और झांज मंजिरों से बाबा की आरती की जा रही है. वही चंद्रमौलेश्वर और कोटेश्वर महादेव की भी पूजा अर्चना विधि विधान से की जा रही है. इन नौ दिनों के पावन अवसर पर लोगों की भक्ति देखने को मिल रही है. बाबा के अलग अलग स्वरूप में दर्शन और आरती में शामिल होने के लिए हजारो लाखों की संख्या में भक्त आ रहे हैं. शिवनवरात्रि के दौरान इन नौ दिनों मे पंडित घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व मे बाबा महाकाल का सेहरा स्वरूप मे श्रृंगार भी किया गया.
किस दिन होगा कौन सा श्रृंगार
शिव नवरात्रि पर्व के पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाता है और जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाती है. दूसरे दिन भगवान महाकाल का शेषनाग के रूप में श्रृंगार किया गया. शिव नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान महाकाल का घटाटोप श्रृंगार किया जाएगा तो वहीं चौथे दिन छबीना श्रृंगार होगा. शिव नवरात्रि के पांचवे दिन भगवान महाकाल होलकर रूप में भक्तों को दर्शन देंगे. छठे दिन वे मनमहेश के स्वरूप में दिखाई देंगे और सातवें दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती भी दिखाई देंगी. इस श्रृंगार को उमा-महेश श्रृंगार भी कहा जाता है. आठवें दिन महाकाल का श्रृंगार शिव तांडव स्वरूप में होगा और शिव नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं. जिसे सेहरा दर्शन कहा जाता है.