मुसलमानों को घेर कर मारा जा रहा है…सुनते ही तमक उठे नेहरू, निकाल लाई अपनी पिस्टल

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पर नई दिल्ली में रात के 12:00 बजे दस्तखत किए थे। कई सदियों बाद भारत को आजादी मिली लेकिन बंटवारे के तौर पर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। भारत की छाती पर खींची लकीर से दूसरी तरफ एक नया मुल्क पाकिस्तान बन गया। देश के दो टुकड़े हो गए। 1947 को देश ही नहीं बंटा बल्कि वर्षों से साथ रहने वाले लोग भी अलग हो गए। जो पड़ोसी कभी दुख और दर्द के साथी थे। वो अचानक से दुश्मन बन बैठे। सड़कों पर मौत का नंगा नाच देखने को मिला। चौराहे खून, लाशों और दर्द से अटे-पड़े थे। एक दिन ऐसा भी आया था जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपना आपा खो बैठे थे और दंगाईयों की लूट-पाट व खूनी खेल से बिफर कर अपनी पिस्तौल तक निकाल ली थी। इसे भी पढ़ें: Jawaharlal Nehru Birth Anniversary: आधुनिक भारत के वास्तुकार थे जवाहरलाल नेहरु, जानें कुछ दिलचस्प किस्सेपूर्व आईसीएस अधिकारी और कई देशों में भारत के राजदूत बदरुद्दीन तैयबजी के हवाले से बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट ने इस घटना का जिक्र किया है। तैयबजी ने अपनी आत्मकथा में उस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक रात नेहरू को जब ये बताया गया कि पुरानी दिल्ली से शरणार्थी शिविर पहुंचने की कोशिश कर रहे मुसलमानों को मिंटो ब्रिज के आस-पास घेर कर मारा जा रहा है। बदरुद्दीन तैयबजी ने जिक्र किया कि ये सुनते ही नेहरू गुस्से से उठे और तेज कदमों से सीढियाों की तरफ ऊपर जाकर अपनी एक पुरानी पिस्तौल निकालकर ले आए। ये पिस्तौल उनके पिता मोतीलाल नेहरू की थी। जिससे सालों से कोई गोली नहीं चलाई गई थी। इसे भी पढ़ें: Indian Constitution से किसने हटवाया था राम-जानकी का चित्र? क्या Secular शब्द जोड़ने के लिए Indira की मदद करके गये थे Pandit Nehru?तैयबजी ने बीबीसी की के हवाले से बताया कि उन्होंने मुझसे कहा कि हम लोग गंदे और पुराने कुर्ते पहन कर रात को मिंटो ब्रिज पर चलेंगे। हम ये दिखाएंगे कि हम भी भाग रहे मुसलमान हैं। अगर कोई हम पर हमला करने की कोशिश करेगा तो हम उसे गोली मार देंगे। तैयबजी नेहरू की ये बात सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि नेहरू को ये समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी कि इस तरह के अपराध से निपटने के और भी बेहतर तरीके हो सकते हैं।