नई दिल्ली: रक्षाबंधन के दिन हर भाई अपनी बहन की रक्षा की कसम खाता है। बहन भी भाई की खुशहाली के लिए दुआ करती है। आज कई बहनों ने जेलों में अपने भाइयों को राखी बांधी। इस दौरान जेलों में खास व्यवस्था की गई। इन बहनों की एक ही तमन्ना थी। मेरा भाई जल्द से जल्द जेल से बाहर निकलकर आम लोगों की तरह एक अच्छी जिंदगी बिताए। यहां अपने शब्दों में हमने एक ऐसी ही बहन का दर्द चिट्ठी के जरिये पिरोने का प्रयास किया है। प्यारे भाई, बचपन से तुम्हें राखी बांधती आई हूं। इस साल भी बांधी। तुमने मुझे आने के लिए मना किया था। लेकिन, वादा कैसे तोड़ सकती थी। वादा जो बचपन में किया था। तुम कहीं भी हो रक्षाबंधन पर यह बहन तुम्हारी कलाई सूनी नहीं रहने देगी। यही सोचकर तुम्हारे मना करने के बावजूद जेल पहुंच गई। तुम्हें राखी बांधने। इस बारे में तो सपने में भी नहीं सोचा था। लेकिन, तुम्हें तुम्हारे हाल में भला अकेले कैसे छोड़ देती। आज तुम्हारी इस बहन ने सिर्फ एक ही दुआ की। जेल से तुम जब बाहर निकलकर आओ तो देश के अच्छे नागरिक की तरह एक खुशहाल जीवन बिताओ। तुम्हारी इस बहन की तरह आज जेल में और भी हजारों बहनें पहुंची थीं। हर किसी की आंख नम थी। उनके भाई किसी न किसी अपराध की सजा काट रहे थे। उन सभी को अफसोस था। वे कभी भी अपने भाई को इस हाल में नहीं देखना चाहती थीं। हर रक्षाबंधन पर उन्होंने अपने भाई की लंबी उम्र और उसकी खुशहाली के लिए भगवान से सिर्फ यही प्रार्थना की थी। तुम्हारी तरह वे भाई भी बचपन में उनके साथ खेलते हुए बड़े हुए। उनमें खूब झगड़ा होता था। माता-पिता से एक-दूसरे की पिटाई लगवाने के लिए वे शिकायतें करते थे। लेकिन, जब कोई बाहरी आंख भी दिखाता तो उसकी आंख निकाल लेने पर उतारू हो जाते। इसी तरह लड़ते, झगड़ते और खेलते वे बड़े हुए। मैं जानती हूं तुम बचपन से ऐसे नहीं थे। न वे थे जिनकी बहनें आज मेरी तरह जेल में राखी बांधने पहुंची थीं। तुम भी दूसरों की तरह जिंदगी बिता रहे थे। लेकिन, पता नहीं कब तुम अपराध की उन अंधेरी गलियों की ओर मुड़ गए। तुम्हारी इस बहन ने तुम्हे आगाह भी किया था। लेकिन, तुम नहीं माने। तुम्हारी तरह वे भी नहीं मानें थे जिनकी बहनें मेरी तरह वहां पहुंची थीं। उनका दिल फटा जा रहा था। अपने आंसुओं को छुपाकर वे राखियां बांध रही थीं। तुम पर कभी भी कोई मुश्किल पड़ेगी तो उसे पहले इस बहन की छाती से होकर गुजरना पड़ेगा। किसी भी हाल में तुम्हारी यह बहन तुम्हें अकेले नहीं छोड़ेगी। आज जब तुम्हें राखी बांधी तो बस एक ही प्रार्थना की। तुम पूरी तरह से सुधरकर घर वापस लौटो। मुझे सच में बहुत अच्छा लगा जब तुमने कसम खाई कि अब तुम वापस अपराध की उन अंधेरी गलियों में नहीं लौटोगे। अच्छे इंसान बनोगे। देश और परिवार को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दोगे। अपनी इस बहन की ही नहीं, देश की सभी बहनों की रक्षा के लिए समर्पित रहोगे। इस रक्षाबंधन पर इसी कामना के साथ अपने दिल की बात लिख दी है। तुम्हारी प्यारी बहन!