
कुछ की मनोकामनाएं पूरी होने पर बन गई परिपाटी: पुजारी
पुजारी किशन बिहारी ने कहा, ‘काफी पहले, कुछ विद्यार्थी यहां प्रार्थना करने आए थे और उन्होंने आईआईटी या मेडिकल प्रवेश परीक्षा में चयनित होने की मनोकामनाएं दीवार पर लिखी थीं। कुछ महीने बाद दो विद्यार्थियों के माता-पिता मंदिर में आए और उन्होंने यह दावा करते हुए दान दिया कि दीवार पर लिखी उनके बच्चों की मनोकामनाएं पूरी हो गई हैं और तब से यह एक परिपाटी बन चली है।’ उन्होंने कहा, ‘शुरू में विद्यार्थी मंदिर की दीवार पर कहीं भी अपनी मनोकामनाएं लिख दिया करते थे और हम मंदिर को विरूपित न करने की बात कहकर उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश करते थे। साथ ही उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी देते थे। लेकिन जब स्थानीय लोगों और विद्यार्थियों का विश्वास पक्का हो चला तब हमने मंदिर में इसके लिए समर्पित क्षेत्र बनाने का फैसला किया। उसे ‘विश्वास की दीवार’ नाम दिया।’
हर दो महीने में मंदिर की पुताई कराई जाती है: पुजारी
अन्य पुजारी त्रिलोक शर्मा ने कहा कि हर दो महीने में मंदिर की पुताई कराई जाती है क्योंकि दीवारें मनोकामनाओं से भर जाती हैं और अन्य विद्यार्थियों के लिए लिखने के वास्ते जगह नहीं रहती। उन्होंने कहा, ‘जब भी विद्यार्थी आते हैं तो हम उन्हें आशीर्वाद एवं प्रसाद देते हैं और यह कहते हुए उत्साहित करते हैं कि ईश्वर केवल तभी मदद करता है जब आप कठिन परिश्रम करते हैं। कठिन परिश्रम ही कुंजी है।’
शर्मा ने कहा, ‘हम विद्यार्थियों एवं उनके माता-पिता से बात करते हैं। कई बार हमें नजर आता है कि विद्यार्थियों ने अपनी पसंद का कॉलेज या रैंक लिखी होती है। हम उन्हें समझाते हैं कि अपनी भावनाएं प्रकट करना अच्छा है लेकिन उसके लिए साथ में प्रयास भी जरूरी है।’ दबाव और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच यह मंदिर विद्यार्थियों के लिए ध्यान लगाने और अच्छा महसूस करने की जगह भी है।
यहां आकर प्रार्थना करती हूं: नीट अभ्यर्थी
मध्य प्रदेश से आई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की अभ्यर्थी प्रगति साहू ने कहा, ‘मैंने अब तक दीवार पर अपनी कोई मनोकामना नहीं लिखी है, लेकिन जब मुझे अपनी तैयारी पर विश्वास हो जाएगा तब मैं मुख्य परीक्षा के आसपास यह लिखूंगी। लेकिन इस बीच जब भी मेरा मनोबल घट जाता है या मैं दबाव महसूस करती हूं तो मैं यहां आती हूं और प्रार्थना करती हूं या ध्यान लगाती हूं ताकि अच्छा महसूस करूं।’
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी कर रहे महाराष्ट्र के विद्यार्थी कशिश गुप्ता ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि कोई लिख देगा कि मैं नंबर वन रैंक चाहता हूं और उसे वह मिल जाएगी, बल्कि लोकप्रिय धारणा है कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दीजिए और फिर उस हिसाब से अपनी मनोकामनाएं लिखिए।’ दीवार पर कई मनोकामनाएं तो पढ़ाई में ध्यान लग जाने, बुरे ख्याल मन से चले जाने, परिवार को गौरवान्वित करने जैसी हैं।