क्या कहते हैं जानकार
इकनॉमिस्ट निधि मनचंदा ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक जीवन बीमा पॉलिसी हैं जो एक अप्रैल 2023 के बाद जारी की गई हो और यदि ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम की कुल राशि पांच लाख रुपये से अधिक है, तो मैच्योरिटी राशि पर टैक्स लगेगा। जानकारों का कहना है कि यह प्रावधान इंश्योरेंस सेक्टर के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि यह सेविंग प्रॉडक्ट्स को प्रभावित करेगा। यह हाई वैल्यू वाली प्रीमियम नीतियों को प्रभावित करेगा। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बजट में नई कर व्यवस्था को आगे बढ़ाने के कारण इंश्योरेंस प्रॉडक्ट टैक्स सेविंग के साधन के रूप में ज्यादा आकर्षक नहीं रह गए हैं।वहीं कुछ जानकारों की मानें तो सरकार ने टैक्सपेयर्स को एक तरह से इनसेंटिव दिया है। इससे वे टर्म इंश्योरेंस खरीदकर अपनी लाइफ कवरेज को दुरुस्त कर सकते हैं। अधिकांश टैक्सपेयर्स इससे प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि उनका सालाना प्रीमियम पांच लाख रुपये की लिमिट के नीचे ही रहेगा। यह प्रावधान कवरेज को इनवेस्टमेंट की जरूरतों से अलग करेगा। इससे निवेशकों को कवरेज और इनवेस्टमेंट दोनों से अच्छा फायदा मिलेगा। इस तरीके से पर्याप्त कवरेज हासिल किया जा सकता है।
क्या होगा फायदा
उनका कहना है कि टैक्स सेविंग के लिए निवेश की जरूरतों को स्मॉल सेविंग्स, प्रॉविडेंट फंड और ईएलएसएस के जरिए पूरा किया जा सकता है। इनमें परंपरागत लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलता है। फाइनेंशियल ईयर 2021 में यूलिप (ULIP) में भी ऐसा ही प्रावधान किया गया था। तब 2.5 लाख रुपये से अधिक के यूलिप प्रीमियम पर टैक्स की घोषणा की गई थी लेकिन लाइफ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स को इससे अलग रखा गया था। अब सरकार ने महंगी इंश्योरेंस पॉलिसीज को टैक्स के दायरे में लाने का प्रावधान किया है।