अभी नहीं तो कभी नहीं… 46% बढ़ चुकी है महंगाई लेकिन नहीं बढ़ी 80C की लिमिट

: वित्त मंत्री निर्मला निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) थोड़ी देर में फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का आम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है। इस साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होंगे। यही वजह है कि टैक्सपेयर्स को इस बार राहत मिलने की उम्मीद है। उन्हें लग रहा है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। मंगलवार को पेश इकॉनमिक सर्वे के मुताबिक अप्रैल से नंवबर के बीच डायरेक्ट टैक्स में पिछले साल के मुकाबले 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जनवरी में जीएसटी कलेक्शन 1,55,922 करोड़ रुपये रहा जो अब तक का दूसरा सबसे ज्यादा कलेक्शन है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में यह तीसरा मौका है जब जीएसटी कलेक्शन 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। यानी सरकार के पास टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश है। नौ साल से टैक्स के मोर्चे पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। यही वजह है कि टैक्‍सपेयर्स को उम्‍मीद है कि इस बार सरकार इनकम टैक्स कानून की धारा 80C की लिमिट को बढ़ा सकती है। सवाल यह है कि आखिर 80सी की लिमिट बढ़ाने की जरूरत महसूस क्‍यों हो रही है? इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि 2014 से देश में महंगाई 46 फीसदी बढ़ चुकी है जबकि 80C की लिमिट वहीं अटकी हुई है। यह टैक्‍स बचाने का सबसे लोकप्रिय जरिया है। इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत अभी EPF, PPF, ELSS, म्‍यूचुअल फंड, सुकन्‍या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग्स सर्टिफ‍िकेट, 5 साल की FD, NPS और सीनियर सिटीजन सेविंग स्‍कीम में एक फाइनेंशियल ईयर अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश पर टैक्‍स छूट ले सकते हैं। दो बच्‍चों की स्‍कूल फीस, होम लोन पेमेंट और इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर भी यह छूट मिलती है। माना जा रहा है कि इस छूट को बढ़ाकर 2.50 लाख किया जा सकता है।

क्यों है लिमिट बढ़ाने की जरूरत

80C की लिमिट बढ़ाने की मांग के कई कारण हैं। मिडिल क्लास के लिए महंगाई एक बहुत बड़ी चिंता है। पिछले साल महंगाई आसमान छू रही थी और साल के 10 महीने यह छह फीसदी से ऊपर रही। महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआई ने ब्याज दरों में इजाफा किया। इससे खासकर होम लोन की किस्त बढ़ गई। इससे लोगों का बजट बिगड़ गया और उनकी डिस्पोजल इनकम सिकुड़ गई। 80C की लिमिट आखिरी बार 2014 में बढ़ाई गई थी। तब इसे एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। तब कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स 240 पर था जो आज 331 पर पहुंच गया है। महंगाई को देखते हुए इसके अगले वित्त वर्ष में 351 पहुंचने का अनुमान है। जानकारों का मानना है कि इस इंडेक्स के आधार पर 80C की लिमिट 2.19 लाख रुपये होनी चाहिए।2005-06 की महंगाई के आधार पर यह लिमिट एक लाख रुपये रखी गई थी जो आज की महंगाई के हिसाब से 2.82 लाख रुपये बैठती है। यही वजह है कि कई संगठनों ने इस लिमिट को बढ़ाने की मांग की है। टैक्स और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट भी इसे बढ़ाने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि इससे लोग इनवेस्ट करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। खासकर नौकरी करने वाले लोगों के लिए लिमिट कम पड़ रही है। हाल के वर्षों में महंगाई के कारण ट्यूशन फीस और ईपीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ गया है। इसलिए 80C के तहत दूसरी टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स का फायदा नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि 80C की लिमिट बढ़ाने की मांग हो रही है।

क्या होगा फायदा

अगर सरकार 80C की लिमिट बढ़ाती है तो इससे दो फायदे होंगे। इससे टैक्सपेयर को राहत मिलेगी और वह ज्यादा पैसे बचा पाएगा। इसका दूसरा फायदा यह होगा की वह ज्यादा निवेश करेगा जिससे देश की ग्रोथ पर असर होगा। 80C की सीमा बढ़ाने से सबसे ज्यादा फायदा छोटी बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसी खरीदारों, म्यूचुअल फंड निवेशकों, लोनधारकों के निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों को होगा। उद्योग जगत के साथ ही रिटेल इनवेस्टर्स भी लंबे समय से कटौती सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।इससे टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ कम होगा। इससे उन्हें रिटायरमेंट, बच्चों की शिक्षा आदि के लिए पैसा बचाने का मौका मिलेगा। साथ ही मकानों की बिक्री में भी तेजी आएगी। साथ ही इससे सरकार को भी फायदा होगा। इससे बचत को बढ़ावा मिलेगा और महंगाई काबू में आएगी। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टरों के लिए सरकार को लो-कॉस्ट फंड मिलेगा। इससे हाउसिंग जैसी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इससे सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।