
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस ने कहा है कि बाइडन प्रशासन एरिक गार्सेटी को भारत में अमेरिका का राजदूत नियुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वाइट हाउस ने उम्मीद जतायी कि जल्द ही सीनेट गार्सेटी के नामांकन पर अपनी मुहर लगा देगी। 51 साल के गार्सेटी साल 2013 से ही लॉस एंजिलिस शहर के मेयर हैं। उन्हें राष्ट्रपति बाइडन का बेहद करीबी माना जाता है। मात्र एक महीने में बेरोजगारी के डर से अब गार्सेटी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ताकि उन्हें लॉस एंजिलिस का मेयर बना दिया जाए।
जानें कहां फंसा है पूरा मामला
दरअसल, गार्सेटी के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी के एक सीनेटर अभियान चला रहे हैं। सीनेटर का कहना है कि गार्सेटी ने अपने स्टाफ के यौन उत्पीड़न के मामले को ठीक से संभाला नहीं। इसी वजह से 16 महीने बाद भी गार्सेटी को भारत में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि सीनेट में गार्सेटी की नियुक्ति पर मतदान का नंबर ही नहीं आ रहा है। गार्सेटी और उनके सहयोगी सीनेट में मंजूरी के लिए जरूरी 50 वोट ही नहीं जुटा पा रहे हैं।
बाइडन ने अब तक जितने भी राजदूतों की नियुक्ति की है, उनमें गार्सेटी को सबसे ज्यादा लंबा समय तक के लिए इंतजार करना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति नहीं करके अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को गलत संदेश दे रहा है। इस बीच गार्सेटी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध महत्वपूर्ण हैं। इसलिए मैं आशावादी हूं क्योंकि कई लोगों ने मुझसे कहा था कि चुनाव बीत जाने तक का इंतजार करो। अब चुनाव के बाद हम इस पर फोकस कर सकते हैं और मैं भारत में सेवा करने के लिए तैयार हूं।
अगले साल तक के लिए करना पड़ सकता है इंतजार
वाइट हाउस और सीनेट में बहुमत के नेता चुक चूमर यह फैसला करेंगे कि क्या और कब गार्सेटी के भारत के नामांकन को पेश किया जाए। हालांकि इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। अमेरिकी संसद में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी है, ऐसे में गार्सेटी को अगले साल तक के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि गार्सेटी का मुद्दा सत्तारूढ़ डेमोक्रेट्स सीनेट के समक्ष लाने से इनकार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पास इसके लिए पर्याप्त वोट नहीं हैं।