नई दिल्ली: आप यदि भारत के विदेश व्यापार के आंकड़ों से वाकिफ हैं तो आपको इस बात की जानकारी जरूर होगी। इस समय हम आयात (Import) ज्यादा करते हैं और निर्यात कम। इसी वजह से हमारा व्यापार घाटा बढ़ रहा है। इससे चालू खाते का घाटा भी बढ़ता है। व्यापार घाटे को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक ऐसी योजना तैयार की है, जिससे हमारा निर्यात बढ़ेगा और आयात कम होगा। इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा हमारा सहकारी क्षेत्र। इससे अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को फायदा होगा, जिनमें दूर-दराज के गांव भी शामिल हैं।
एक मल्टी स्टेट कोओपरेटिव का हुआ है गठन
साल 2021 में भारत सरकार ने एक नए मंत्रालय का गठन किया था। इसका नाम है सहकारिता मंत्रालय। इसके मंत्री हैं अमित शाह। इन्हीं की संकल्पना के बाद एक निर्यात सहकारी समिति के गठन का फैसला हुआ है। इस फैसले को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से भी हरी झंडी मिल चुकी है। इसके तहत एक मल्टी स्टेट कोओपरेटिव कमेटी का गठन किया गया है, जिसका नाम नेशनल कोओपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड है। इस समय देश में चल रही पांच बड़ी सहकारी समितियां इसकी प्रवर्तक हैं। इनमें शामिल हैं भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड, कृषक भारतीय सहकारी लिमिटेड (कृभको), राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संगठन लिमिटेड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ जीसीएमएमएफ (अमूल)।
कैसे काम करेगा यह कोओपरेटिव
इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह सब एक अच्छी तरह से तैयार की गई रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह टैब पैक्स PACs के माडल बाइलॉज पर आधारित है। इसका कार्यान्वयन केंद्र सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ODOP) के फार्मूले पर होगा। पहल के कार्यान्वयन के बाद स्वाभाविक रूप से सामने आया है। नये माडल उपनियमों से पैक्स को निवेश और कृषि वस्तुओं के व्यापार के माध्यम से व्यापार के विस्तार में सक्रिय तौर पर कार्य करने की अनुमति मिली। साथ ही, ओडीओपी को किसानों को वाणिज्यिक रूप से अधिक फायदेमंद फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने में कामयाब रहा और इसका सबसे अच्छा उदाहरण उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले का काला चावल है । यूपी सरकार के समर्थन से किसान उस चावल को वैश्विक बाजारों में प्रभावी ढंग से लाने में सक्षम थे, जिसकी बहुत मांग थी और यह तुरंत एक ब्लागबस्टर फसल बन गया।
नेशनल कोओपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड कैसे मदद करेगा
नेशनल कोओपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड किसानों को बताएगा कि दुनिया के बाजार में किस कृषि जिन्स की मांग है। किसके लिए दाम ज्यादा मिलने की संभावना है। वैश्विक मांग वाली इन वस्तुओं की पहचान से न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा भी आएगी। यह सभी प्रमुख और छोटी सहकारी समितियों के लिए ज्ञान का केंद्र बनेंगी, जो मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण को बनाए रखेगी ।
5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने में सहायक
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक बार कहा था कि 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने के लिए सहकारिता प्रमुख भूमिका निभाएगी। तभी तो उन्होंने हर गांव में एक पीएसी की स्थापना पर जोर दिया है। सहकारी समितियां इन पहलों की सफलता में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगी। वे न केवल प्राथमिक व्यापारिक इकाई के रूप में कार्य करेंगी बल्कि सदस्यों को इन पहलों के बारे में जागरूक भी करेंगी। इसके अतिरिक्त, ये समितियां अधिक किसानों को निर्यात योग्य फसलों की खेती में मदद करेगी, क्योंकि सफलता दर्ज की जाएगी और अधिक किसान सहकारिता का हिस्सा बनेंगे।