नई दिल्ली: भारत में विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए-नेवी) विमानवाहक पोत पर उतरा। भारत की आत्मनिर्भरता के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। एलसीए को आईएनएस विक्रांत पर उतारे जाने से स्वदेशी लड़ाकू विमान के साथ स्वदेशी विमानवाहक पोत डिजाइन, विकसित और निर्मित किये जाने की भारत की क्षमता को दुनिया देखा है। मेक इन इंडिया की दिशा में यह एक मील का पत्थर है जिसको दुनिया ने देखा। इससे पहले INS विक्रांत भारत के डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में बड़ा कदम था। भारत ने उस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं साथ ही उन देशों की सूची में शामिल हो गया कि वह अपनी तकनीक से बड़े जहाज बना सकता है और ऐसे कारनामे कर सकता है। आने वाले वक्त में DRDO की मदद से होगा और भी कमालभारतीय सेना की ताकत बढ़ी है। एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी के लिए बेहद जरूरी है। जमीन पर दुश्मन के हमलों को बचाने के लिए एयरफोर्स की ओर से मोर्चा संभाला जाता है वहीं समुद्र में यह काम नेवी का हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि समुद्र के बीच वह लड़ाकू विमानों को उड़ा सके। एयरक्राफ्ट कैरियार से नेवी की वह क्षमता बढ़ती है। दुश्मन का कोई लड़ाकू विमान हवा से हमला करने की फिराक में हो तो जरूरी है कि उसका जवाब कई तरीकों से दिया जाए। एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को वह क्षमता प्रदान करता है कि वह बिना किसी रुकावट के इसे ऑपरेट कर सके। शुरू में आईएनएस विक्रांत से मिग-29K ऑपरेट होंगे। DRDO नेवी के लिए डबल इंजन का फाइटर जेट बना रहा है, उसका पहला प्रोटोटाइप कुछ ही साल में तैयार हो जाने की उम्मीद है। ये फिर मिग-29K फाइटर एयरक्राफ्ट को रिप्लेस करेंगे। यह तो बस शुरुआत है… इस लिस्ट में शामिल हुआ भारतचीन और पाकिस्तान से टक्कर के लिए भारत ने अपने दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को पिछले साल नौसेना में शामिल किया। स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करने के बाद भारत ने अपने दूसरे विमानवाहक पोत पर काम शुरू कर दिया है। आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल कर भारत दुनिया का सातवां देश बन गया जिसके पास विमानवाहक पोत निर्माण की क्षमता है। यह कोई आसान काम नहीं था। 2022 में आईएनएस विक्रांत जैसे विशाल विमानवाहक पोत का निर्माण किया। कुछ साल पहले तक कोई विश्वास नहीं कर सकता था कि भारत ऐसे काम करने में भी सक्षम है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और जापान के बाद भारत सातवां देश है जो विमानवाहक पोत का निर्माण कर सकता है।चीन की हर चाल पर नजर, भारत ने बढ़ाए कदम हिंद महासागर में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है और इस दिशा में वह लगातार बढ़ रहा है। चीन के साथ तनाव के बीच भारत को भी इस दिशा में काम करने की जरूर थी। भारत ने भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। भारत यह देख रहा है कि चीन कैसे दूसरे देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर वहां के बंदरगाहों पर कब्जा कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया दस सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से 7 पर चीन का कब्जा है। एक वक्त हिंद महासागर पर भारत का दबदबा था लेकिन यह बात 13 वीं सदी की है। आज दुनियाभर में 80 फीसदी के करीब तेल हिंद महासागर के रास्तों से ही गुजरकर पहुंचता है। चीन के साथ चुनौती के बीच पावर बैलेंस के लिए भारत को भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने की जरूरत थी और भारत ने उस दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं।