चीन के दबाव का असर नहीं, भारत को नए सुखोई-30 और मिग-29 फाइटर जेट देगा दोस्‍त रूस, लेंगे मोदी?

मास्‍को: भारत और चीन में चल रहे तनाव तथा यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने ऐलान किया कि वह भारतीय वायुसेना को अतिरिक्‍त सुखोई-30 एमकेआई और मिग-29 फाइटर जेट देने के लिए तैयार है। रूस के यूनाईटेड एयरक्राफ्ट कार्पोरेशन के महानिदेशक यूरी स्‍लयूसर ने भारत को नए फाइटर जेट देने की घोषणा की है। उन्‍होंने कहा कि मिग 29 फाइटर जेट का अत्‍याधुनिक वेरिएंट भी मौजूद है जो एयरक्राफ्ट कैरियर पर इस्‍तेमाल होता है। इससे पहले लद्दाख में तनाव के बीच चीन ने रूस को भारत को हथियार और फाइटर जेट देने का विरोध किया था। रूसी मीडिया स्‍पूतनिक ने यूरी के हवाले से कहा कि रूस पहले ही भारत को 270 सुखोई फाइटर जेट की आपूर्ति कर चुका है। उन्‍होंने कहा कि इन सुखोई विमानों के कई कल पुर्जे तो भारत में ही बनाए गए हैं। उन्‍होंने कहा कि हम भारत के साथ लंबी अवधि का सहयोग करना चाहते हैं ताकि अतिरिक्‍त विमानों की आपूर्ति की जा सके। उन्‍होंने यह भी उम्‍मीद जताई कि रूस को भारतीय वायुसेना की 114 फाइटर जेट की डील हासिल होगी। रूस ने अपने मिग-35 फाइटर जेट का ऑफर दिया है जो भारत के एचएएल के प्‍लांट में ही बनाया जा सकता है। रूस ने 5 साल में भारत को 13 अरब डॉलर के हथियार बेचेभारत के एचएएल प्‍लांट में रूस ने काफी सहयोग किया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि रूस और भारत रूसी विमान सुखोई सुपरजेट के संयुक्‍त उत्‍पादन पर एक समझौता कर सकते हैं। रूस चाहता है कि भारत में सुखोई सुपरजेट का बड़े पैमाने पर उत्‍पादन किया जाए। यूरी ने कहा कि रूस का यह विमान 100 सीटों वाला है और भारत में इसकी भारी मांग हो सकती है। उन्‍होंने कहा कि रूस इस दिशा में हर सहयोग करने के लिए तैयार है। चीन ने यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस के साथ अपनी करीबी बढ़ा दी है। आलम हो गया है कि रूस अब कई मामलों में चीन का जूनियर पार्टनर बन गया है। भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन ने रूस पर दबाव डाला था कि वह घातक हथियार न दे। हालांकि रूस अभी इससे पीछे नहीं हटा है। बता दें कि पिछले 5 साल में रूस ने भारत को 13 अरब डॉलर के हथियारों की सप्‍लाइ की है। अभी भारत की ओर से रूस को 10 अरब डॉलर के हथियारों का ऑर्डर दिया गया है। भारत करीब 60 फीसदी रूसी हथियारों पर निर्भर है। वहीं अमेरिका समेत पश्चिमी देश भारत पर दबाव डाल रहे हैं कि वह रूस से हथियारों की खरीद को कम कर दे। इसके बाद भी भारत अभी रूस से हथियारों की खरीद जारी रखे हुए है।