रमाकांत चंदन, पटना: अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने को बेचैन राज्य के मुख्यमंत्री की मुश्किलें आसान होते नहीं दिख रही हैं। हाल यह है कि विधान परिषद में जिन 11 एमएलसी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें नीतीश कुमार संग चार एमएलसी जनता दल यू के हैं। लेकिन इस बार का जो गणित है वह नीतीश कुमार की ताकत को विधान परिषद में आधी करने वाली है। वैसे भी जेडीयू ने जो रास्ता राज्यसभा चुनाव के वक्त अपनाया था। वहीं रास्ता विधान परिषद चुनाव में भी अपनाने जा रही है। नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव में नए चेहरे संजय झा पर भरोसा जताया। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगड़े को राज्यसभा में नहीं भेजा। सियासी जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार इस बार विधान परिषद में भी चेहरों को रिपीट नहीं करेंगे। किसी नए चेहरे को जगह मिलेगी। खासतौर से वो चेहरा मुस्लिम हो सकता है। जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा हैजनता दल यू से जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संजय झा, खालिद अनवर और रामेश्वर महतो हैं। एक एमएलसी को भेजे जाने के लिए 21 विधायकों की संख्या जरूरी है। विधानसभा में जदयू के 45 विधायक है। ऐसे में जदयू इस बार चार की जगह सिर्फ दो ही एमएलसी चुन पाएगा। दो एमएलसी चुने जाने के बाद जदयू के पास सिर्फ तीन विधायक शेष रह जाते हैं। ध्यान रहे कि जब जेडीयू दो ही उम्मीदवारों को भेज सकती है, तो स्वाभाविक है पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले जाएंगे। वहीं दूसरी ओर पहले के दो चेहरों को दोबारा भेजे जाने का कोई प्लान नहीं दिख रहा है। उसकी जगह एक और चेहरे को जगह दी जाएगी, जो नया चेहरा हो सकता है।कब होगा मतदानजानकारी के अनुसार, के लिए 4 मार्च को नोटिफिकेशन जारी होंगे। 11 मार्च को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन होगा। 14 मार्च को नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख होगी। इन 11 सीटों के लिए 21 मार्च को सभी सीटों पर मतदान होगा। इसी दिन शाम से काउंटिंग शुरू होगी जो 23 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। ध्यान रहे कि नीतीश ने 2006 के बाद से सीधे मतदाताओं का सामना नहीं किया है। वे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद 2006 में पहली बार बिहार विधान परिषद के लिए चुने गए थे। इससे पहले वह 2004 में नालंदा लोकसभा सीट से संसद के लिए चुने गए थे और इसलिए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। तब से उन्होंने परिषद के दरवाजे के माध्यम से सदन तक पहुंचने का विकल्प चुना था। वह 2012 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार सदन के लिए चुने गए, जबकि वह चौथी बार सदन में नामांकित होने के लिए तैयार हैं।ऐसे में जदयू से कौन होंगे एमएलसी!विधायकों के गणित के हिसाब से जदयू नेतृत्व इस बार दो एमएलसी ही चुन सकता है। इसमें एक तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं होंगे। संजय झा पहले ही राज्यसभा भेजे जा चुके हैं। शेष बचे दो एमएलसी जिनमें खालिद अनवर और रामेश्वर महतो शामिल हैं। जदयू सूत्रों की माने तो इस बार न तो खालिद अनवर और न ही रामेश्वर महतो को फिर मौका मिलने जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार जदयू की तरफ से किसी नए चेहरे को विधान परिषद भेजने की तैयारी है। वैसे भी इस बार एनडीए की सरकार में बने नए मंत्री में मुस्लिम और किसी महिला को मंत्री नहीं बनाया गया है। सियासी जानकारों की मानें, तो राज्यसभा के उम्मीदवार संजय झा की तरह जेडीयू लोगों को चौंका सकती है। पार्टी के किसी कद्दावर और कर्मठ कार्यकर्ता के अलावा नेता को नीतीश कुमार के साथ विधान परिषद भेजा जा सकता है। नीतीश कुमार के साथ संभव हो कि कोई मुस्लिम चेहरा विधान परिषद पहुंचे।