नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन से मिलती चुनौतियों के बीच भारतीय सेना धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है। लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार, घातक शस्त्र, स्वार्म ड्रोन और दूसरे टोही फाइटर्स के साथ ही सेना रात में लड़ने में सक्षम साजोसामान, निगरानी और जंबो जेट बेड़े में शामिल कर अपनी स्थिति को मजबूत करती जा रही है। पूर्वी लद्दाख में चीन की तरफ से मिली चुनौती के बाद इसमें और तेजी आई। हाल में अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर पर भी पड़ोसी मुल्क ने माहौल खराब करने का दुस्साहस किया था। सेना अब टेक्नॉलजी की मदद से आधुनिकीकरण पर भी फोकस कर रही है। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार TOI को बताया कि महत्वपूर्ण युद्धक क्षमताएं बढ़ाई जा रही हैं, पुराने हथियारों की जगह सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है। मॉडर्न बन रही भारतीय सेनाउधर, टूथ-टु-टेल रेशियो बेहतर करने के लिए सेना के पुनर्गठन के लिए अभियान चल रहा है। सेना की भाषा में T3R प्रत्येक फाइटर सैनिक की तुलना में आपूर्ति और सहयोग के लिए सैन्य कर्मियों का रेशियो होता है। इसको सुधारने का मतलब यह है कि ज्यादा से ज्यादा जवानों की तैनाती जंग के मैदान में मुकाबले के लिए रखी जाए। यही वजह है कि 12 लाख जवानों वाली ताकतवर फौज में नॉन-ऑपरेशनल क्षेत्र में कटौती की जा रही है। सेना का सैलरी और पेंशन बजट भी लगातार बढ़ रहा है और ऐसे में आधुनिकीकरण के लिए पैसा कम बच पा रहा था। अब सेना ने इस दिशा में ध्यान देना शुरू कर दिया है। तीन साल में 91 हजार करोड़ की डीलसूत्रों ने बताया है कि पिछले तीन वित्त वर्ष में 91,238 करोड़ रुपये की 61 बड़ी डील फाइनल की गई। इसमें 76,544 करोड़ के 44 समझौते सरकारी पीएसयू समेत घरेलू वेंडर्स के साथ किए गए हैं। यह तो सामान्य रूप से की गई रक्षा खरीद के तहत आता है। इसके अलावा सेना ने इमर्जेंसी खरीद के तहत 68 कॉन्ट्रैक्ट किए। यही नहीं, 84 और इमर्जेंसी खरीद डील पर बात चल रही है। पैदल बटालियन, तोपखाने से संबंधित रेजीमेंट, स्पेशल फोर्स आदि के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन की खरीद के लिए प्रक्रिया चल रही है। एक सूत्र ने बताया कि मार्च-अप्रैल में स्वार्म ड्रोन के 4 सेट मिल जाएंगे। 50 किमी तक के इलाके में नजर रखने वाले इन ड्रोन के हर सेट में 50 ड्रोन होंगे। ये 1 से 5 किग्रा तक के विस्फोटक ले जा सकते हैं और इनमें ‘कामकाजी ड्रोन’ वाली क्षमताएं भी हैं। दरअसल, कामकाजी ड्रोन अपने साथ बड़ी मात्रा में विस्फोटक लेकर उड़ते हैं और दुश्मन के ठिकाने पर हमले से पहले टारगेट सिलेक्ट करते हैं और उसके बाद तबाही मचा देते हैं। इससे हमले के 100 फीसदी सफल रहने की संभावना रहती है। अगस्त से कुछ और हथियार मिलने शुरू हो जाएंगे। ऊंचाई वाले इलाकों के लिए 400 ड्रोन लिए जा रहे हैं। रेगिस्तान और मैदानी इलाकों के लिए 250 ड्रोन सेना अपने बेड़े में शामिल कर रही है। ये ड्रोन 50 किमी तक के इलाके में 3 से 5 किग्रा विस्फोटक लेकर दुश्मन को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं। तोप, मिसाइल, रॉकेट, कुछ स्मार्ट हथियार के अलावा K-9 वज्र और पिनाक रॉकेट सिस्टम जैसे घातक हथियारों ने भारत की रक्षा तैयारियों को चाक-चौबंद किया है।