जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से इस केंद्र शासित प्रदेश में तमाम बदलाव आये हैं जिससे जनता को विभिन्न प्रकार के लाभ हो रहे हैं। कश्मीर में सड़कों पर हिंसा और पथराव बीते जमाने की बात हो गयी है, आतंकवाद अपने आखिरी दौर में है, केंद्रीय योजनाओं का लाभ पूरी पारदर्शिता के साथ लोगों को मिल रहा है, भूमिहीनों को सरकार जमीन दे रही है, युवाओं को नौकरी मिल रही है, स्वरोजगार की चाह रखने वालों को कौशल प्रशिक्षण और कारोबार खड़ा करने के लिए आसानी से कर्ज मिल रहा है, संघर्षविराम होने के चलते सीमावर्ती गांवों के लोग शांति से जीवन जी रहे हैं, बचपन से सिनेमाघरों के बारे में कहानियां सुनती रही कश्मीर की आज की युवा पीढ़ी पहली बार मल्टीप्लेक्सों को देख रही है, घुसपैठ लगभग बंद हो चुकी है, सभी धर्मों के लोग अपने पर्वों को शांतिपूर्वक मना पा रहे हैं, अमरनाथ यात्रा सफलता के साथ चल रही है, कुछ दिनों पहले वार्षिक खीर भवानी मेले में भी भारी भीड़ जुटी थी और अब 33 सालों से ज्यादा समय के बाद मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। यह नया कश्मीर पूरे भारतवासियों के साथ ही कश्मीर के लोगों को भी खूब भा रहा है और हर दिल से यही दुआ निकल रही है कि हमारा जम्मू-कश्मीर और तरक्की करे।33 साल बाद निकला मुहर्रम का जुलूसजहां तक कश्मीर में मुहर्रम के जुलूस की बात है तो आपको बता दें कि श्रीनगर में करीब तीन दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद शिया समुदाय ने बृहस्पतिवार को गुरुबाजार से डलगेट मार्ग पर कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच मुहर्रम जुलूस निकाला, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद समुदाय के सदस्यों ने जुलूस निकाला। अधिकारियों ने व्यस्त लाल चौक क्षेत्र से गुजरने वाले मार्ग पर जुलूस के लिए सुबह छह बजे से आठ बजे तक दो घंटे का समय दिया था। इसलिए लोग आठवें दिन के जुलूस के लिए सुबह करीब साढ़े पांच बजे ही गुरुबाजार में एकत्र हुए और कई ने उम्मीद जताई कि प्रशासन शनिवार को 10वें दिन का जुलूस निकालने की भी इजाजत देगा। हम आपको बता दें कि मुहर्रम के महीने के 10वें दिन यानी आशूरा को निकाला जाने वाला जुलूस बहुत अहम होता है। श्रीनगर के उपायुक्त एजाज़ असद ने कहा कि यह राज्य में अमन का नतीजा है और उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों तथा स्थानीय स्वयंसेवकों का उनकी मदद के लिए आभार जताया।इसे भी पढ़ें: Jammu-Kashmir Panchayat Elections अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना के बीच पंचों ने की अनोखी माँगवहीं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सड़क पर हिंसा समाप्त हो गई है और केंद्र शासित प्रदेश में शांति के युग की शुरुआत हुई है। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में मुहर्रम का जुलूस निकाले जाने पर संतोष व्यक्त किया। सूफीवाद पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ”मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि 8वीं मुहर्रम का जुलूस दशकों बाद श्रीनगर में निकाला गया और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। धार्मिक आयोजनों पर किसी भी तरह की राजनीति करना गलत होगा।” उधर, कश्मीर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि जुलूस के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा कि 30 से अधिक वर्षों में यह पहली बार है कि मुहर्रम के 8वें दिन के जुलूस को इस मार्ग से निकालने जाने की इजाजत दी गई है। 1990 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैल गया था तबसे यह जुलूस बंद था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों से शिया समुदाय जुलूस की अनुमति की मांग कर रहे थे। सरकार के निर्णय लेने के बाद हमने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की।’’नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने तीन दशक से भी अधिक समय बाद लाल चौक के पारंपरिक मार्ग से मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति देने संबंधी सरकार के फैसले का स्वागत किया। वहीं आम लोगों ने भी प्रशासन के इस फैसले के लिए उसका आभार जताया।केंद्र सरकार का बयानजहां तक कश्मीर के हालात में आये अन्य बदलावों की बात है तो आपको बता दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया है कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगभग 30,000 रिक्तियां भरी जा चुकी हैं। राय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने शासन संबंधी कई सुधार किए हैं जिनमें भर्ती क्षेत्र भी शामिल है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया गया है और जम्मू-कश्मीर सरकार ने 29,295 रिक्तियां भरी हैं। भर्ती एजेंसियों ने 7,924 रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया है और 2,504 रिक्तियों के संबंध में परीक्षाएं आयोजित की गई हैं।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार में रिक्तियों की पहचान और भर्ती एक सतत प्रक्रिया है और इसे त्वरित भर्ती अभियान के तहत किया जाता है। बयान के अनुसार, जम्मू-कश्मीर सरकार ने विभिन्न विभागों के माध्यम से कई स्वरोजगार योजनाएं लागू कर बेरोजगारी कम करने के लिए पहल की है।इसके अलावा, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इस साल 30 जून तक कोई आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ नहीं कर सका था, हालांकि वर्ष 2022 में घुसपैठ की 14 घटनाएं हुई थीं। उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत सरकार ने सीमा पार घुसपैठ से निपटने के लिए जो रवैया अपनाया है उससे घुसपैठ पर अंकुश लगना सुनिश्चित हुआ है। मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 30 जून तक जम्मू-कश्मीर में कोई घुसपैठ नहीं हुई। वर्ष 2022 में घुसपैठ की 14, वर्ष 2021 में 34, वर्ष 2020 में 51 और 2019 में 141 घटनाएं हुईं थीं। राय ने कहा कि भारत सरकार ने सीमा पार से घुसपैठ से निपटने के लिए अच्छी तरह से समन्वित और बहु-आयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सुरक्षा बलों की सामरिक तैनाती शामिल है।हम आपको यह भी बता दें कि आंकड़ों के मुताबिक जी-20 की बैठक के बाद से जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर घुसपैठ के लगभग 14 से 15 प्रयास हुए हैं। सुरक्षा बलों ने इस दौरान 23 आतंकवादियों और घुसपैठियों को सफलतापूर्वक मार गिराया है और भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं।