लैंडर का उदास मैसेज
लैंडर की तरफ से जो ट्वीट किया गया है वह कुछ इस तरह से है, ‘मेरी पावर वाकई बहुत कम हो गई है। हो सकता है कि यह मेरी आखिरी तस्वीर है जो मैं भेज सकता हूं। लेकिन फिर भी मेरे बारे में चिंता मत करिएगा। मेरा समय यहां पर काफी उत्पादक और खूबसूरत रहा है। अगर मैं अपनी मिशन टीम से बात करना जारी रख सकता हूं, तो मैं करूंगा, लेकिन मुझे साइन ऑफ करना होगा। मेरे साथ रहने के लिए शुक्रिया।’
इस अकाउंट्स से जो ट्वीट हुए हैं वो भी इसी तरह से उदास करने वाले हैं। नासा इस बात से वाकिफ था कि इनसाइट लैंडर की बैटरी कम हो रही है। कुछ महीने पहले ही इनसाइट ने अपना काम करना शुरू किया था। इसने मई महीने में आए मंगल ग्रह पर आए सबसे तगड़े भूकंप को रेकॉर्ड किया था। इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह की काफी खूबसूरत तस्वीरें क्लिक की थीं। इनसाइट लैंडर के सोलर पैनल्स पर जमी धूल की परत काफी गहरी हो गई थी। इसकी वजह से इसकी बैटरी लगातार कम होती जा रही थी।
किस लिए भेजा गया था लैंडर
नासा ने दो नवंबर को बताया था कि अगले कुछ हफ्तों में इसका अंत हो सकता है। नासा के मुताबिक लैंडर के दो मुख्य काम थे। पहले इसे यह पता लगाना था कि मंगल ग्रह की रचना कैसे हुई। इसके लिए इसे उसके अंदर के हिस्सों का अध्ययन करना था। इसके अलावा विभिन्न पर्तों के जरिए इसकी भौगोलिक संरचना का पता करना था। जो दूसरा काम इसके जिम्मे था उसके तहत इनसाइट को यह पता लगाना था कि कैसे आज मंगल ग्रह टेक्टोनिकली कितना सकिय है और कितने उल्कापिंड इसे प्रभावित करते हैं। इसमें मंगल ग्रह पर आने वाले भूकंपों का भी अध्ययन करना था। इस ग्रह पर 1300 से ज्यादा बार भूकंप आए हैं।
चार साल का मिशन
नासा के प्लैनेटरी साइंस डिवीजन के निदेशक लोरी ग्लेज ने कहा, “इनसाइट ने चट्टानी ग्रहों के अंदरूनी हिस्सों के लिए हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया है। इसने भविष्य के कई बड़े मिशन को एक मंच दिया है। उनकी मानें तो अब पृथ्वी, चंद्रमा, शुक्र और यहां तक कि बाकी सौर मंडलों में चट्टानी ग्रहों के लिए मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना के बारे में जो कुछ भी पता लगा है उसे लागू किया जा सकता है। साल 2018 में इनसाइट ने मंगल ग्रह पर कदम रखा था। इसके सोलर पैनल्स ने हर मंगल दिवस (Martian day) पर 5000 वॉट की ऊर्जा पैदा की थी। धरती पर मंगल का एक दिन 40 मिनट ज्यादा लंबा होता है। इस समय वह 500 वॉट ऊर्जा ही पैदा कर पा रहा है।