अहमदाबाद: मोरबी में ब्रिज हादसे पर घिरी गुजरात सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मोरबी की पर बने दूसरे बांध को मरम्मत के लिए खाली कराया जाएगा। सरकार ने यह फैसला मच्छु-2 बांध के निरीक्षण के बाद लिया है। निरीक्षण में सामने आया है कि बांध के पांच दरवाजे कमजोर है। ऐसे में अब बांध को मरम्मत के लिए खाली कराया जाएगा। मच्छू-2 मोरबी जिले का सबसे बड़ा बांध है। मच्छू नदी पर कुल दो बांध हैं। नदी पर सबसे पहले 1959 में मच्छू-3 बांध बनाया गया था। इसके बाद 1972 में मच्छू-2 का निर्माण किया गया था, लेकिन 1979 में मच्छू-2 बांध टूट गया था। इसके बाद मोरबी में बड़ी तबाही हुई थी। इस मानव निर्मित त्रासदी (Morbi disaster) माना गया था। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। काफी लोग लापता हुए थे। इसके बाद मच्छू-2 बांध को नए सिरे से बनाया गया था। पहली बार खाली होगा बांध जानकारी के अनुसार मोरबी के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब मच्छू-2 बांध को खाली कराया जाएगा। 33 साल बांध में पानी नहीं होगा। मच्छू बांध के 1979 में टूटने के बाद इसे नए सिरे से बनाया गया था। तब इस बांध में कुल 20 गेट बनाए गए थे। इनमें 18 पुराने गेट बरकरार रखे गए थे। बांध को खाली कराए जाने का काम 15 अप्रैल से शुरू होगा। इसके लिए बांध के पानी को मच्छू नदी छोड़ा जाएगा। इसके अलावा कुछ पानी आजी डेम में छोड़ा जाएगा। मरम्मत में जहां पांच दरवाजों की मरम्म्त होगी तो वहीं बाकी दरवाजों को मजबूत किया जाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था से पानी बांध के खाली होने की स्थिति में मोरबी को पानी की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। मरम्मत में एक महीने का समय लगने की उम्मीद है। इस दौरान मोरबी की प्याज बुझाने के लिए नर्मदा से पानी दिया जाएगा। पिछले तीन दशक से मोरबी की प्यास इसी मच्छू-2 बांध से पूरी हो रही है। अधिकारियों के अनुसार बांध को बरसात के मौसम से पहले फिर पानी स्टोर करने के लिए तैयार कर दिया जाएगा। मच्छू-2 बांध मोरबी की प्याज बुझाने के अलावा किसानों को पानी देता है। बांध के गेटों की मरम्मत करने से पहले किसानों को भी सिंचाई के पानी देने के वैकल्पिक तरीकों पर विचार किया जा रहा है।