गाजीपुर : को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में 4 साल की सजा सुनाई है। फैसला सुनाते समय कोर्ट में की मशहूर कहानी बड़े भाई साहब का जिक्र अफजाल अंसारी से किया गया। आइए जानते हैं उसकी वजह। मुख्तार अंसारी के रूप में बेहतरीन क्रिकेटर मिलताशासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि अफजाल अंसारी के पक्ष से न्यायालय के समक्ष यह बात रखी गई थी कि 1985 से अफजाल अंसारी कई बार विधायक रहे हैं। वह अपने क्षेत्र के एक सम्मानित व्यक्ति हैं। ऐसे में उनके ऊपर गैंगस्टर आरोप के तहत सजा नहीं सुनाई जाए। नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि अभियोजन की ओर से यह तर्क रखा गया कि 1985 में पहली बार अफजाल अंसारी विधायक बने थे। उस समय मुख्तार की उम्र 19-20 साल के बीच रही होगी। इसी कम उम्र में मुख्तार ने अपना पहला जुर्म किया था। अगर उसी समय एक अभिभावक के तौर पर अफजाल अंसारी ने रोका होता तो वह जुर्म की दुनिया में नहीं गया होता और गाजीपुर को एक माफिया के बजाय मुख्तार अंसारी के रूप में बेहतरीन क्रिकेटर मिलता। अफजाल अंसारी को जिम्मेदारी याद दिलाई गईअभियोजन की ओर से दलील में यह भी कहा गया कि अफजाल अंसारी को कृष्णानंद राय ने 2002 के विधायकी के चुनाव में हराया था। ऐसे में उनके (कृष्णानंद राय) के प्रति वैमनस्यता अफजाल अंसारी के जहन में आना स्वभाविक था। अफजाल अंसारी की योजना पर ही मुख्तार अंसारी आदि ने कृष्णानंद राय की हत्या की। ऐसे में अफजाल अंसारी ने गैंग बनाकर जुर्म को अंजाम दिया। उन पर गैंगस्टर के तहत ऐक्शन लिया जाना चाहिए। इसी दौरान कोर्ट में मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कथा बड़े भाई साहब का जिक्र करते हुए अफजाल अंसारी को बड़े भाई होने के नाते उनकी भूमिका याद दिलाई गई। अफजाल अंसारी पर भी लागू होती हैवकील श्रीवास्तव ने बताया कि कानूनी तौर पर जब किसी जेल में बंद अपराधी को सजा सुनाई जाती है तो उस सूरत में उसकी सजा में वह अवधि कम किए जाने का प्रावधान है। वारंट बनने से लेकर जमानत होने की अवधि सजा के अंतराल में कम कर दी जाती है। अब यह देखना होगा कि मुख्तार अंसारी के साल 2007 के इस गैंगस्टर के केस में कब वारंट बना था और मुख्तार अंसारी ने कब इस केस में जमानत करवाई, यह सब देखा जाना बाकी है। यही बात अफजाल अंसारी पर भी लागू होती है।