MP का बदहाल स्कूल, न पीने का पानी, न बैठने की जगह; जर्जर इमारत में पढ़ रहे बच्चे

शाजापुर: मध्य प्रदेश के शाजापुर में सरकारी स्कूल की हालत बेहद लचर है. शाजापुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर TV9 भारतवर्ष की टीम ने शासकीय स्कूल का दौरा किया. सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय मालाखेड़ी की स्थिति देखकर हर कोई दंग रह जाएगा. स्कूल में एक ही टीचर मौजूद थे. वहीं, स्कूल की हालत देखें तो बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी थी. इस जर्जर बिल्डिंग में नन्हें-मुन्ने बच्चे अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
एक तरफ सरकार बच्चों के भविष्य के लिए कई प्रकार की योजनाएं ला रही है. दूसरी और बच्चे जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं. स्कूल में एक ही हाल बना हुआ है, जिसमें अलग-अलग कक्षा के बच्चे बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं. बच्चे जमीन पर बैठकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. न ही स्कूल में बच्चों के लिए पानी की सुविधा है और न ही बैठन के लिए बेंच है.
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अलग-अलग तरफ मुंह करके एक ही छत के नीचे कई कक्षाओं के बच्चें बैठे हैं. बच्चे किस तरह से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. यह एक बड़ा सवाला है. वहीं, स्कूल के प्राचार्य राधेश्याम मालवीय से स्कूल की हालत के बारे में पूछ गया तो उन्होंने कहा कि बिल्डिंग बहुत ही जर्जर हो रही है. इसकी शिकायत हमने आला अधिकारियों से की है. अधिकारियों का कहना है कि हम जल्द ही स्कूल की बिल्डिंग के बारे में इंजीनियर को बताएंगे, लेकिन अभी तक स्कूल में कोई नहीं आया है.
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का है गृह क्षेत्र
राज्य शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का गृह क्षेत्र होने के बावजूद भी स्कूलों की हालत कुछ इस प्रकार दिखाई दे रही है. राज्य में बड़े-बड़े स्कूल बनाए जा रहे हैं. जो स्कूल के भवन पहला से ही बने हुए हैं. सरकार का उन पर कोई ध्यान नहीं है. स्कूल की हालत पर अब तो सरकार को तरख खाना चाहिए.
ग्राउंड स्तर पर स्कूल की हालत कुछ और ही
यह नन्हें-मुन्ने बच्चे किस तरह से इस स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं? यह सोचने वाली बात है. स्कूल का भवन गांव के अंदर बना हुआ है. भवन पूरा जर्जर हो रहा है. स्कूल के भवन कि निकलते ही कीचड़ की नाली बह रही है. देश का आने वाला भविष्य इस तरह से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहा है. वादे सिर्फ भाषणों में ही देखने को मिलते हैं. धरातल पर स्थिति इस प्रकार नजर आ रही है. न ही बच्चों के लिए स्कूल में अच्छी सुविधाएं हैं और न ही खेलकूद का मैदान है. राज्य शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को इन स्कूलों की ओर ध्यान देना चाहिए. बड़े-बड़े वादे सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन ग्राउंड स्तर पर स्थिति कुछ और ही दिखाई दे रही है.
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