MPPSC 2019: कोर्ट ने दी राहत, दोबारा नहीं होगी परीक्षा, लेकिन…अब भी फंसा है पेंच

MPPSC PCS Main Exam: साल 2019 में निकली मध्यप्रदेश पीसीएस परीक्षा को लेकर हाईकोर्ट में मामला लंबित है. मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से MPPSC 2019 की मुख्य परीक्षा फिर से करवाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस मामले पर MP High Court की जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बैंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि एमपी पीसीएस 2019 के लिए नई लिस्ट में सेलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों को दोबारा परीक्षा नहीं देनी होगी. हालांकि वकील रामेश्वर सिंह ने कहा है कि इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ओर से MP PCS 2019 परीक्षा को लेकर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या एमपी पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से मनमाने तरीके से की गई है. हाईकोर्ट ने परीक्षा असंशोधित नियम 2015 के तहत करवाने के निर्देश दिए हैं.
क्या है मामला?
मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की MPPSC 2019 की मुख्य परीक्षा में सेलेक्टेड 102 कैंडिडेट्स की ओर से एमपी हाईकोर्ट में 5 याचिकाएं दायर की गई थी. इसमें कहा गया था इस वैकेंसी के लिए प्रीलिम्स परीक्षा के रिवाइज्ड रिजल्ट में उनका सेलेक्शन हुआ था. बाद में छात्रों की याचिका कोर्ट में लंबित होने के बावजूद मेन्स परीक्षा का आयोजन किया गया.
छात्रों के याचिका के खिलाफ कमीशन ने मुख्य परीक्षा को दोबारा कराने की मांग रखी. इस मामले पर हाईकोर्ट ने कहा है कि दोबारा परीक्षा कराना उन स्टूडेंट्स के लिए अन्याय है जो मेन्स में पास हो चुके हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा हे कि जिन छात्रों ने याचिका दायर की है उनके लिए सिर्फ विशेष परीक्षा का आयोजन किया जाना चाहिए. कोर्ट ने 6 महीने के अंदर सेलेक्शन प्रोसेस पूरा करने को कहा है.
2019 में आई थी वैकेंसी
MPPSC की ओर से साल 2019 में स्टेट सर्विस एग्जाम के लिए वैकेंसी जारी हुई थी. इस वैकेंसी के लिए प्रीलिम्स परीक्षा का आयोजन जनवरी 2020 में कराया गया था. इसके बाद मेन्स परीक्षा का आयोजन सितंबर 2021 में हुआ था जिसके रिजल्ट दिसंबर 2021 में जारी किए गए थे. मेन्स परीक्षा के बाद 1900 से ज्यादा उम्मीदवारों का सेलेक्शन इंटरव्यू राउंड के लिए हुआ था. अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी होगी.
इस मामले पर हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए अधिवक्ता रामेश्वर सिंह का कहना है कि आदेश के खिलाफ वह अपील करेंगे. उन्होंने कि एक भर्ती की दो अलग-अलग परीक्षाएं लेना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा.