‘गुस्से में कही गई बात उकसावा नहीं’, सुसाइड केस में MP हाई कोर्ट ने रद्द किया निचली अदालत का फैसला

भोपाल (dailyhindinews.com)। उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए उस एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि गैर-इरादतन गुस्से में कही गई बातों को उकसावा नहीं कहा जा सकता है।

हाइ कोर्ट ने इस संबंध में निचली अदालत के एक फैसले को रद्द कर दिया। हाइ कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल ने 16 दिसंबर को एक आदेश पारित करके दमोह जिले में मूरत सिंह नामक व्यक्ति की आत्महत्या से जुड़े दो साल पुराने मामले में निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया।

निचली अदालत ने आवेदकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 34 (समान मंशा से कई लोगों द्वारा किया गया कार्य) के तहत आरोप तय कर दिए थे।

न्यायमूर्ति पॉल ने हाइ कोर्ट के उस फैसले का संदर्भ दिया जिसमें यह कहा गया है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध, उस व्यक्ति की मंशा पर आधारित होता है जो उकसाता है ना कि उकसाने वाले व्यक्ति के कदमों और गतिविधियों पर।

गुस्से में कही गई बात उकसावा नहीं-HC

आत्महत्या के लिए उकसाना, किसी को उकसाने, साजिश या जानबूझकर सहायता करना हो सकता है जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में कहा गया है. लेकिन गुस्से में कही गई किसी बात या बिना किसी मंशा से कोई बात नहीं बताने को उकसावा नहीं मान सकते हैं। हाइ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा इस विश्लेषण के मद्देनजर,निचली अदालत ने 23 सितंबर 2021 के अपने आदेश में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 306/34 के तहत आवेदक के खिलाफ आरोप तय करने में गलती की है. परिणामस्वरूप उस आदेश को रद्द किया जाता है और पुनर्विचार याचिका के लिए अनुमति दी जाती है.

मूरत सिंह ने जहर खाकर की आत्महत्या

अभियोजन पक्ष के मुताबिक 29 अक्टूबर 2020 को भूपेंद्रसिंह लोधी ने मूरतसिंह को लाठी मारी और गाली दी। पीड़ित ने घटना की सूचना तुरंत थाने में दी.आरोप है कि मूरत सिंह के घर लौटने पर आवेदकों ने उस पर मामले में समझौता करने का दबाव डाला और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। जिसके बाद मूरत सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।

हाइ कोर्ट के आदेश में संजू संजय सिंह सेंगर बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में कहा गया था जिसमें अपीलकर्ता ने कथित तौर पर मृतक को ‘जाने और मरने’ के लिए कहा था, शीर्ष अदालत ने कहा कि यह उकसाने की वजह को साफ नहीं करता. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में अगर अभियोजन पक्ष की कहानी को पढ़ा और माना जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भूपेंद्र लोधी ने मूरत सिंह पर लाठी से हमला किया और आवेदक की ओर से ‘उकसाने’ या ‘भड़काने’ का कोई तत्व नहीं है।

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