MP Election 2023: बैजनाथ यादव हुए कांग्रेस में शामिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा झटका; अब आगे कौन?

MP Election 2023: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी कहे जाने वाले बैजनाथ यादव की घर वापसी के साथ ही चर्चा तेज हो गई है कि अब कुछ और पुराने कांग्रेसी, वर्तमान भाजपाई घर वापसी कर सकते हैं. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता, कई बार के एमएलए और मंत्री रहे दीपक जोशी ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया. इस तरह एक के बाद एक झटके भाजपा को लगते जा रहे हैं. चुनावी मौके पर संदेश यह जताया जा रहा है कि आखिर सत्तारूढ़ भाजपा में भगदड़ क्यों मची हुई है?
बैजनाथ यादव यूं तो किसी बहुत बड़े पद पर नहीं रहे हैं. वे जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं. उनकी बेगम जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. शिवपुरी में उनका प्रभाव है. पर, वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. इसीलिए उनका भाजपा छोड़ना और कांग्रेस में शामिल होना महत्वपूर्ण हो जाता है. बैजनाथ ने भी उसी समय सिंधिया के प्रभाव में भाजपा का दामन थामा था, जब साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा जॉइन कर ली थी. इसके बाद 15 महीने पुरानी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई.
400 गाड़ियों का काफिला लेकर पहुंचे कांग्रेस मुख्यालय
बाद में भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एमपी में सरकार बना ली. ऐसे में बैजनाथ जैसे लोगों का भाजपा छोड़ना मायने रखता है, चर्चा होती है. वैसे भी बैजनाथ ने जिस तरीके से शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस में वापसी की है, वह अपने आप में खास है. वे दल-बल के साथ 400 गाड़ियों के काफिले के साथ कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे, जो उनके प्रभाव को दर्शाने के लिए पर्याप्त है. उम्मीद जताई जा रही है कि वे कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
बैजनाथ का अपने ही क्षेत्र में प्रभाव नहीं!
सीनियर जर्नलिस्ट कौशल किशोर चतुर्वेदी कहते हैं कि चुनावी मौसम है. इधर से उधर आने-जाने का सिलसिला अभी और तेज होगा. पूरे चंबल से अगर कोई भाजपाई कांग्रेस जॉइन करेगा तो उसे सिंधिया समर्थक कहा और माना जाएगा. चतुर्वेदी मानते हैं कि बैजनाथ का वह प्रभाव नहीं है, जितना मीडिया हाइप उन्हें मिली है. वे सहज भाव से कहते हैं कि बैजनाथ से ज्यादा बड़ा झटका भाजपा को दीपक जोशी ने दिया है. वे संघ बैक ग्राउंड से आते हैं, कई बार विधायक रहे हैं, मंत्री रहे हैं. पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे हैं. भाजपा उन्हें रोक पाती तो अच्छा होता. उन्हीं के साथ दतिया जिले से विधायक रहे राधेलाल बघेल ने भी कांग्रेस का दामन थामा.
दीपक जोशी का कांग्रेस में जाना BJP के लिए बड़ा झटका
कहने की जरूरत नहीं है कि दीपक के पिता कैलाश जोशी एमपी के पहले गैर कांग्रेसी सीएम थे. आठ बार एमएलए, लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य रहे. भाजपा के संस्थापकों में से एक थे. अटल जी के साथी थे. भाजपा को खड़ा करने में उनका बड़ा योगदान रहा है. अब अगर उनके बेटे दीपक जोशी कांग्रेस जॉइन कर रहे हैं तो भाजपा को चिंता होनी चाहिए. इस उठापटक के बीच नया एंगल यह भी है कि जिन उम्मीदों को लेकर लोगों ने सिंधिया का साथ दिया, भाजपा में आए. वह पूरा नहीं हो रहा है.
सिंधिया के विधायकों-मंत्रियों की सरकार में नहीं चल रही!
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि हेल्थ मिनिस्टर प्रभुराम चौधरी पुराने कांग्रेसी हैं. सरकार में रहकर खूब मेहनत भी करते हैं, लेकिन फैसलों में उनकी कम ही चलती है. या न के बराबर चलती है. दूसरे मंत्री सारंग उनके ज्यादातर फैसले लेते हैं. ऐसी स्थिति बाकी लोगों की भी है. सिंधिया को भी दिक्कत हो रही है. वे फील्ड में घूम रहे हैं तो लोग शिकायत कर रहे हैं.
35-40 फीसदी मौजूदा विधायकों-मंत्रियों टिकट काटेगी बीजेपी!
उनके कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों की सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है. महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि भगदड़ का एक बड़ा कारण यह भी है कि भाजपा ने तय कर लिया है कि वह 35-40 फीसदी मौजूदा विधायकों-मंत्रियों के टिकट काट देगी, क्योंकि उनकी परफार्मेंस अच्छी नहीं है. भगदड़ इसलिए भी मची हुई है. अभी यह और तेज होगी.