20 साल में पहली बार सुनाई गई सबसे अधिक मौत की सजा, यूपी, गुजरात समेत ये राज्य टॉप पर

नई दिल्ली: देश भर की निचली अदालतों ने पिछले साल यानी 2022 में 165 दोषियों को सुनाई, जो वर्ष 2000 के बाद से सर्वाधिक है। यह खुलासा एक रिपोर्ट में किया गया है। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLU) की प्रोजेक्ट 39ए के तहत यहां जारी वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक 2015 के बाद जिन दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई, उन कैदियों की संख्या में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह की 50 प्रतिशत (51.28 प्रतिशत) सजा यौन अपराधों के मामलों में दोषियों को सुनाई गई है।भारत में मृत्युदंड, वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट -2022 शीर्षक से यह रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह के कैदियों की बड़ी संख्या इंगित करती है कि निचली अदालतों द्वारा बड़ी संख्या में मौत की सजा दी जा रही है जबकि अपीलीय अदालतों में इनके निस्तारण की गति धीमी है। वर्ष 2022 में मृत्युदंड की सजा की संख्या को अहमदाबाद बम धमाके के मामले में 38 लोगों को सुनाई गई इस तरह की सजा ने प्रभावित किया है। वर्ष 2016 के बाद यह पहली बार हुआ है जब एक ही मामले में इतने लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने मौत की सजा के क्रमश: 11 और 68 मामलों का निस्तारण किया है।सबसे अधिक मौत की सजा उत्तर प्रदेश में (100 दोषियों को) सुनाई गई। वहीं, गुजरात में 61, झारखंड में 46, महाराष्ट्र में 39 और मध्य प्रदेश में 31 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई।