नई दिल्ली: इस बार के बजट में गैर सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर पर (Leave Encashment) पर टैक्स छूट बढ़ाई गई है। गैर-सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर 3 लाख रुपये के लीव एनकैशमेंट पर मिलने वाली कर छूट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव इस बजट में किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बुधवार कहा कि गैर-सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर पर लीव एनकैशमेंट पर कर छूट के लिए 3 लाख रुपये की सीमा आखिरी बार वर्ष 2002 में तय की गई थी जब सरकार में उच्चतम मूल वेतन रुपये था 30 हजार रुपये प्रतिमाह था। मैं इस सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव कर रही हूं।आम बजट में सरकार ने निजी कर्मचारियों को राहत देते हुए लीव एनकैशमेंट की छूट की सीमा को बढ़ाकर 25 लाख कर दिया है। आयकर कानून 1961 की धारा 10 (10एए) (ii) के तहत यह प्रावधान किया गया है। हालांकि धारा के अन्य प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यदि कोई नौकरी में रहते हुए इन छुट्टियों को एनकैश कराता है तो उसे सैलरी का पार्ट माना जाएगा। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपको लीव एनकैशमेंट की जानकारी होगी। इसका सीधा और आसान शब्दों में मतलब यह होता है कि बची हुई छुट्टियों को कैश कराना। प्राइवेट नौकरी या सरकारी नौकरी दोनों को ही सैलरी स्ट्रक्चर में इसकी जानकारी दी गई होती है। उनकी एक साल में कितनी ऐसी छुट्टियां हैं जो एनकैश करा सकते हैं। लीव एनकैशमेंट टैक्स के दायरे में आता है। आमतौर पर कंपनियों में तीन तरह की छुट्टियां होती है जिसमें सिक लीव, कैजुअल लीव जिसको सीएल भी कहते हैं और तीसरी अर्न्ड लीव होती है। कैजुअल लीव साल के अंत में लैप्स हो जाती हैं लेकिन सिक लीव और अर्न्ड लीव कैरी फॉरवर्ड हो जाता है। हालांकि कैरी फॉरवर्ड होने वाली छुट्टियों पर भी एक लिमिट होती है। इन छुट्टियों से मिलने वाली रकम को आय का हिस्सा माना जाता है और उस पर टैक्स लगता है। हालांकि केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को लीव एनकैशमेंट पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट या इस्तीफे के वक्त लीव एनकैशमेंट पर जो रकम मिलती थी उसमें अधिकतम 3 लाख की रकम पर टैक्स नहीं लगता था लेकिन इससे अधिक के ऊपर वाली रकम पर टैक्स लगता था। इस बार बजट में इस छूट को बढ़कार 25 लाख कर दिया गया है।