मोदी का अटैक 2.0 LIVE: खरगे ने कल किया था कटाक्ष, आज मोदी ने जवाब दे दिया

नई दिल्ली: राज्यसभा में आज जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए, विपक्ष के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। प्रधानमंत्री को अपना संबोधन बीच में रोकना पड़ा। मोदी-अडानी भाई-भाई के नारे लगते रहे… काफी देर तक हंगामा होता है। जेपीसी से जांच कराओ का शोर काफी देर तक उच्च सदन में गूंजता रहा। विपक्षी सदस्य नहीं माने तो प्रधानमंत्री ने फिर से बोलना शुरू किया। पीएम ने कहा कि इस सदन में जो भी बात होती है उसे देश गंभीरता से सुनता है लेकिन ये भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने महत्वपूर्ण सदन में कुछ लोगों का व्यवहार, कुछ लोगों की वाणी सदन और देश को निराश करने वाली रही है। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शेम के नारे लगाए। इस प्रकार की प्रवृत्ति रखने वाले माननीय सदस्यों से मैं इतना ही कहूंगा- कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल है, जो भी जिसके पास था उसने दिया उछाल। इस पर सभी मेज थपथपाने लगे लेकिन विपक्ष के नारे नहीं रुके। मोदी ने कहा कि जितना कीचड़ उछालोगे कमल उतना ज्यादा खिलेगा। कांग्रेस पर बरसे मोदी, इन्होंने तो गड्ढे ही किएकमल खिलाने में आपका परोक्ष-प्रत्यक्ष जो भी योगदान है इसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। इस पर सत्ता पक्ष के सांसद हंसने लगे। मोदी ने कहा कि कल विपक्ष के हमारे वरिष्ठ साथी खरगे जी ने कहा कि हमने 60 साल में मजबूत बुनियाद बना रहे थे। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद तो हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है लेकिन 2014 में आकर जब मैंने बारीकी से चीजों को देखने का प्रयास किया तो मुझे नजर आया कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने हो सकता है उनका इरादा मजबूत नींव बनाने को हो… लेकिन उन्होंने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। पीएम ने कहा कि जब वे गड्ढे खोद रहे थे, 6 दशक बर्बाद कर दिए थे। उस समय दुनिया के छोटे-छोटे देश सफलता के शिखर को छू रहे थे आगे बढ़ रहे थे। पुरुषार्थ से हमारी सरकार की पहचानउन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक उन्हीं की दुनिया चलती थी। देश भी आंख बंद करके उनका समर्थन करता था लेकिन उन्होंने इस तरह की कार्यशैली विकसित किया कि वे एक भी चुनौती का परमानेंट सॉल्यूशन करने का न सोचा, न सूझा न प्रयास किया। वे बहुत हो-हल्ला हो जाता था तो चीजों को छू लेते थे। समस्याओं का समाधान करना दायित्व था। देश की जनता देख रही थी कि समस्या का समाधान कितना लाभ कर सकता है लेकिन उनकी प्राथमिकता और इरादे अलग थे। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार की पहचान जो बनी है, वो हमारे पुरुषार्थ के कारण बनी है। एक के बाद एक उठाए गए कदमों के कारण बनी है। आज हम स्थायी समाधान की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम एक एक विषय को छूकर भागने वाले नहीं हैं।मोदी ने कहा कि एक जमाना था कि किसी गांव में हैंडपंप लगा दिया तो हफ्तेभर उत्सव मनाया जाता था। कल यहां गुजरात का जिक्र कर रहे थे। आप हैरान होंगे कि सबसे ज्यादा सीटों से जीतने का जो गर्व था, वैसे मुख्यमंत्री पानी की टंकी का उद्घाटन करने गए थे और वह फ्रंटपेज पर हेडलाइन न्यूज था। ये कल्चर देश ने देखा है। हमने भी जल संरक्षण, कैच द रेन जैसे अभियान चलाए। आजादी के पहले से सरकार में आने तक सिर्फ 3 करोड़ घरों तक नल से जल मिलता था। पिछले 3-4 साल में 11 करोड़ घरों को नल से जल मिल रहा है। पानी हर परिवार की समस्या होती है और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए हमने समाधान के रास्ते चुने। मोदी ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था लेकिन आधे से अधिक लोग बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाए। हमने स्थायी समाधान निकाला और जनधन खातों का अभियान चलाया। पिछले 9 साल में ही 48 करोड़ जनधन बैंक खाते खोले गए। इसमें 32 करोड़ खाते ग्रामीण और कस्बों में खुले हैं यानी देश के गांव तक प्रगति ले जाने का प्रयास हुआ है। खरगे जी यहां आकर रोना रो रहेकल खरगे जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। वो कह रहे थे कलबुर्गी आ जाते हैं। मेरी शिकायत करने से पहले ये तो देखो 1.70 लाख जनधन खाते खुले हैं। यही नहीं, उन्हीं के इलाके कलबुर्गी में 8 लाख से ज्यादा खाते खुले हैं। लोगों का खाता खुल गया और किसी का खाता बंद हो जाए तो उनकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं। बार-बार उनका दर्द झलकता है। कभी-कभी यहां तक कह देते हैं कि दलित को हरा दिया। अरे भाई, जनता ने दूसरे दलित को जिता दिया। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हैं।पीएम ने कहा कि जनधन-आधार-मोबाइल ये जो त्रिशक्ति है उसने डीबीटी के जरिए पिछले कुछ वर्षों में 27 लाख करोड़ रुपये देश के नागरिकों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया है। डीबीटी का उपयोग करने के बाद देश के 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे गलत हाथों में जाने से बच गया है। जिस ईको सिस्टम के चेले-चपाटों को 2 लाख करोड़ के फायदे मिलते रहते थे, उनका चिल्लाना भी स्वाभाविक है।सिर्फ भावनाओं से बात नहीं बनतीमोदी ने कहा कि पहले ईमानदार टैक्सपेयर्स की गाढ़ी कमाई का नुकसान होता था। हम पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान लेकर आए और इन्फ्रास्ट्रक्चर को गति देने का काम हो रहा है। जो योजनाएं महीनों में बन जाती थी, आज हफ्तेभर में बढ़ा दिया जाता है। हम स्केल, स्पीड और टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्थायी समाधान कर रहे हैं। पीएम बोलते रहे और राज्यसभा में शोरगुल जारी रहा। मोदी ने कहा कि सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती जैसा पहले कहा जाता था कि गरीबी हटाओ, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसलिए विकास की गति, नीयत, दिशा, प्रयास और परिणाम बहुत मायने रखता है। यह कहने से कि हम भी करते थे, इससे बात नहीं बनती है।पीएम ने कहा कि गांधी जी कहते थे श्रेय और प्रेय… हमने श्रेय का रास्ता चुना है। दिनरात मेहनत का रास्ता चुना है। पहले 14 करोड़ घरों में सिलेंडर था, खर्चा कम था प्रेशर कम था, लोग इंतजार करते रहते थे। हमने तय किया कि हर घर को एलपीजी कनेक्शन देना है। हमें मालूम था कि हमें मेहनत करनी पड़ेगी। ये सब दबाव के बावजूद प्राथमिकता देश के नागरिक थे। इसलिए हमने 32 करोड़ से ज्यादा परिवारों के पास गैस कनेक्शन पहुंचाए।हम पत्थर पर लकीर वाले लोगमोदी ने कहा कि हम जानते थे कि कठिन काम इन्होंने छोड़ दिया है। हमने कहा कि हम तो मक्खन नहीं पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं। हमने हर गांव में बिजली पहुंचाने का संकल्प लिया। समयसीमा में 18 हजार गांव में बिजली पहुंचाई। गांवों में एक नई जिंदगी की अनुभूति हुई। उनका विकास तो हुआ, देश की व्यवस्था पर विश्वास हुआ। यह सामर्थ्य में तब्दील हो जाता है। वो विश्वास हमने जीता है। उन दूरदराज के गांवों को नई आशा की किरण दिखाई दी। पहले की सरकारों में कुछ घंटे बिजली आती थी, गांव के बीच में खंभा डाल दिया। आज औसतन देश में 22 घंटे बिजली दे रहे हैं।यही सच्चा सेक्युलरिज्म हैपीएम ने कहा कि हम एक ऐसी कार्य संस्कृति लेकर आए जिसमें भेदभाव की सारी गुंजाइश को खत्म करना। इसमें भ्रष्टाचार के लिए जगह खत्म हो जाता है। तुष्टीकरण की आशंकाओं को समाप्त कर देता है। फलाने गांव, बिरादरी, पंथ-संप्रदाय को मिलेगा… ये सब खत्म कर देता है। समाज के आखिरी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा इसमें समाहित होती है और सबका साथ-सबका विकास यही है कि शत प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना। यही सामाजिक न्याय की गारंटी है। यही सच्चा सेक्युलरिज्म है।पीएम ने कहा कि आदिवासी परिवारों को 14 लाख जमीन के पट्टे दिए गए थे। हमने 6-7 साल में 7 लाख नए पट्टे दिए हैं। सिर्फ सहानुभूति जताई… आदिवासियों के लिए कुछ किया होता तो मुझे इतना काम न करना पड़ता। लेकिन ये इनकी प्राथमिकता में नहीं था। इनकी राजनीति, अर्थनीति वोट बैंक के आधार पर चलती रही। इन्होंने समाज के सामर्थ्य को नजरअंदाज किया।