अगली कुछ तिमाहियों में नरम पड़ सकती है ग्रोथ
हाल ही में यूरोप के सबसे बड़े बैंक एचएसबीसी के अर्थशास्त्रियों ने भारत में ग्रोथ को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि अगली कुछ तिमाहियों में ग्रोथ नरम पड़ सकती है। उन्होंने दिसंबर महीने में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी किये जाने और उसके बाद एक लंबे ब्रेक का अनुमान जताया। वहीं, गोल्डमैन सैश ने साल 2023 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 5.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया। गोल्डमैन ने कहा कि लोन महंगे हो जाने से कंज्यूमर डिमांड प्रभावित हुई है। इनवेस्टमेंट बैंक ने कहा कि वैश्विक ग्रोथ में रिकवरी के साथ ही दूसरी तिमाही में पुरानी स्थिति लौट आएगी।
यह है सिक्के का दूसरा पहलू
इनकम टैक्स की दरों को कम करने से लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा। इससे इकनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है, जो निर्मला सीतारमण के दिमाग में चल रहा होगा। महंगाई को लेकर आरबीआई और सरकार काफी परेशान हैं, लेकिन अब यह आखिरकार कम होने के संकेत दे रही है। टैक्स कम करने के बाद खर्च में होने वाली बढ़ोतरी महंगाई को बेलगाम कर सकती है।
आयकर स्लैब (नया सिस्टम)
इनकम टैक्स स्लैब | टैक्स रेट |
2.5 लाख रुपये तक | कोई टैक्स नहीं |
2.5 लाख से 3 लाख रुपये तक | 5% |
3 से 5 लाख रुपये तक | 5% |
5 से 7.5 लाख रुपये तक | 10% |
7.5 से 10 लाख रुपये तक | 15% |
10 लाख से 12.50 लाख रुयये तक | 20% |
12.5 लाख से 15 लाख रुपये तक | 25% |
15 लाख से अधिक | 30% |
आयकर स्लैब (पुराना सिस्टम)
इनकम टैक्स स्लैब | टैक्स रेट |
2.5 लाख रुपये तक | कोई टैक्स नहीं |
2.5 से 5 लाख रुपये तक | 5% |
5 से 10 लाख रुपये तक | 20% |
10 लाख रुपये से अधिक | 30% |
महंगाई को रोकने के कदम से पीछे हटना होगा रिस्कीआरबीआई ने मई के बाद से ब्याज दरों में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है। यह अपनी दिसंबर पॉलिसी में इसमें और इजाफा कर सकता है। अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई 7 फीसदी से नीचे रही थी। विकसित देशों में मंदी कमोडिटी की कीमतों को गिराएगी, जो कि महंगाई के बढ़ने का एक बड़ा कारण था। लेकिन ग्लोबल इकनॉमी के भविष्य पर अभी भी अनिश्चितता के बादल हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है और सप्लाई चेन अभी भी बाधित हैं। महंगाई को रोकने के अपने गोल से थोड़ा भी हटे, तो यह काफी रिस्की हो सकता है।
भारत बना है ब्राइट स्पॉट
ग्रोथ और महंगाई के मामले में भारत अपने समकक्षों की तुलना में बेहतर परफॉर्म कर रहा है। टैक्स को लेकर होने वाले किसी भी फैसले में यह बात ध्यान रखी जाएगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर आ रहे खराब अनुमानों के बावजूद भारत एक ब्राइट स्पॉट की तरह देखा जा रहा है। हाल ही में आईएमएफ चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने भारत को ग्लोबल इकनॉमी में एक ब्राइट स्पॉट के रूप में रेखांकित किया था। उन्होंने बताया कि किस तरह स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स ने भारत के विकास को गति दी।
रूरल डिमांड में आएगा सुधार
महंगाई ने रूरल डिमांड को काफी प्रभावित किया है। कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल सेक्टर लगातार रूरल डिमांड पर रेड सिग्नल दे रहा है। हालांकि, रबी फसल की अच्छी बुआई रूरल डिमांड के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे लोगों की आय बढ़ेगी। अगले साल फसल के बाजार में पहुंचने के बाद अनाज की महंगाई में भी कमी आने की संभावना है। एफएमसीजी कंपनियां भी अच्छी फसल और वैश्विक कमोडिटी की कीमतों की महंगाई में कमी के कारण रूरल डिमांड में सुधार की उम्मीद कर रही हैं।
राजकोषीय मजबूती पर होगा वित्त मंत्री का ध्यान
वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर रखने के महत्व को भी ध्यान में रखेंगी। मजबूत कर राजस्व के चलते वित्त वर्ष 2023 के लिए 6.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के बजटीय लक्ष्य को पूरा करने की उम्मीद है। बोफा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, बजटीय अनुमान से अधिक नोमिनल जीडीपी ग्रोथ राजकोषीय अंतर को जीडीपी के 6.4% पर बनाए रखेगी।
गलत पड़ सकता है फैसला
भारत के मजबूत इकनॉमिक फंडामेंटल्स विदेशी निवेशकों के लिए एक चुंबक की तरह काम कर रहे हैं। इनकम टैक्स के मोर्चे पर किसी भी बदलाव से यह स्थिति प्रभावित हो सकती है। सरकार उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसा देकर मांग को बढ़ाना चाहती है। लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर करों में कटौती करना आसान निर्णय नहीं होगा।