सेमी इलेक्शन बजट में सेमी रेवड़ी की उम्मीद
नौ राज्यों में विधानसभा चुनावों के कारण लोगों की उम्मीदें है कि इस बार का बजट चुनावी बजट होगा। वो चुनावी बजट जो वोट बैंकों के लिए तोहफे से भरा होगा। अगले साल 2024 में आम चुनाव मई के आसपास होने की उम्मीद है, उससे पहले फरवरी महीने में मोदी सरकार अपना अंतरिम बजट पेश करेगी। लिहाजा, यह आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। तो क्या यह चुनावी बजट होगा? इसे लेकर लोगों के मन में रेवड़ियों, फ्री स्कीम, सब्सिडी जैसे तोहफे की बातें उठना लाजिमी है। क्या ऐसा सच में होगा, इसकी उम्मीद थोड़ी कम है।
इन तीन कारणों से लॉलीपॉप उम्मीद कम
ये बजट चुनावी बजट हो, इसके चांस थोड़े कम है। इसके पीछे तीन कारणों का जिक्र अर्थशास्त्री स्वीमानाथन ने किया है। पहला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो हमेशा से मुफ्त रेवड़ी कल्चर के खिलाफ रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार और खुद पीएम मोदी फ्री स्कीम को ‘रेवड़ी’ कहकर उनकी आलोचना करते रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि अभी आम चुनाव यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में काफी वक्त है। करीब 15 महीने का वक्त है। ऐसे में अगर अभी इसी बजट में सस्ते या फ्री स्कीम की घोषणा कर दी जाती है तो वो आम चुनाव तक जनता की स्मृति में नहीं रहेगा। तीसरा कारण, 2024 का अंतरिम बजट भी मुफ्त उपहारों से भरा हो सकता है। ऐसे में हो सकता है कि भाजपा इस रणनीति को रिजर्व में रख ले। राजनीति के पंडित मान रहे हैं कि नौ राज्यों में चुनाव से पहले आने वाला ये बजट तोहफे की बरसात करेगा। साल 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव है। सब्सिडी स्कीम किसी भी चुनाव के लिए मजबूत दांव होता है। ऐसे में बीजेपी के कैंपेनर्स भी बजट से काफी उम्मीदें लगाकार बैठे हैं। साल 2023 जो सेमी इलेक्शन का साल है। उससे लगाई गई उम्मीदें पूरी न हो सके।