कौन सा AI टूल लेकर आ रही मोदी सरकार, भाषा की दुनिया में आ जाएगी क्रांति

नई दिल्ली: बेंगलुरु में G20 इकनॉमी मिनिस्ट्रियल मीट को संबोधित करते हुए ने कहा कि भारत एक AI-संचालित भाषा अनुवाद मंच ” बना रहा है। पीएम के इस ऐलान से ठीक तीन दिन पहले केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि डिजिटल इंडिया के विस्तार के तहत ‘भाषिणी’ अब 10 की जगह पर 22 भाषाओं का अनुवाद करेगी। मोदी सरकार इसे एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मान रही है। इससे पहले SCO समिट में पीएम ने दुनिया के सामने ‘भाषिणी’ का जिक्र बहुत गर्व भरे शब्दों में किया था। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि इस टेक्नॉलजी को भारत दुनिया के साथ साझा कर खुशी महसूस करेगा। आइए जानते हैं कि ‘भाषिणी’ कैसे काम करता है।पीएम मोदी ने किया था लॉन्चपिछले साल दिसंबर में चैट जीपीटी के दुनिया भर में छा जाने से कई महीनों पहले ही भारत AI के क्षेत्र में एक मिलता जुलता कदम उठा चुका था। 2022 में जुलाई में पीएम मोदी ने भाषिनी को लॉन्च किया। ये एक ऐसा AI बेस्ड लैंग्वेज ट्रांसलेशन प्लैटफॉर्म है जिसके जरिए भारतीय भाषाओं के बीच के गैप को खत्म करने की दिशा में काम किया जा रहा है। लैंग्वेज डेटासेट और एआई टेक्नोलॉजी बेस्ड इस इस ऑनलाइन प्लैटफॉर्म का मकसद भारतीय भाषाओं के लिए एक नेशनल डिजिटल मंच उपलब्ध कराना है। मकसद क्या है?नैशनल भाषा टेक्नॉलजी मिशन के तहत लाया गया प्रोजेक्ट एकसाथ कई लक्ष्यों को साधने का काम करेगा। इसके जरिए एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने की कोशिश है, जिसके तहत सरकारी पोर्टल, MSME और स्टार्टअप अपने प्रोडक्ट और सेवाओं को भारतीय भाषा में डिवेलप कर सकें। ये AI प्लैटफॉर्म न सिर्फ सरकार, इंडस्ट्री और रिसर्च ग्रुप की कड़ियों को जोड़ने का काम करेगा। इसके जरिए अंग्रेजी न बोलने वाले लोगों को अपनी भाषा में इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित भी केरगा। लोग अपनी भाषा में इंटरनेट पर कंटेट बना पाएंगे। इंटरनेट पर जानकारी अपनी भाषा में हासिल कर पाएंगे और दूसरी भारतीय भाषा बोलने वाले लोगों से अपनी भाषा में बात कर पाएंगे। भाषादान के जरिए योगदानपोर्टल का एक अहम हिस्सा भाषादान है, जो कि लोगों को क्राउडसोर्सिंग की पहल से जोड़ता है। इसमें कोई भी चार तरीके से योगदान कर सकता है- सुनो इंडिया, लिखो इंडिया, बोलो इंडिया और देखो इंडिया। इसमें यूजर्स जो कुछ सुनते हैं उन्हें उसे टाइप करना होता है या दूसरों की ओर से लिखे टेक्स्ट को मान्य करना होता है। इससे AI मॉडल को प्रोडक्ट और सर्विस डिवेलप करने में मदद मिलती है। भाषिणी अहम क्यों है?मोदी सरकार डिजिटल ट्रांसफर्मेशन को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि की तरह ही पेश करती रही है। आत्मनिर्भर भारत शब्द का भी बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। यही वजह है कि सरकार चाहती है कि देश की 22 आधिकारिक भाषाओं, 122 प्रमुख भाषाओं और 1599 दूसरी भाषाओं को डिजिटल कड़ी से बांधा जाए। भाषिणी को लेकर सरकार के उत्साह के पीछे दो वजहें हैं। साल 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की घोषणा से पहले एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि 53 फीसदी भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल इसलिए नहीं करते क्योंकि कंटेट उनकी अपनी भाषा में नहीं होता। जाहिर है सरकार इस रुकावट को दूर करना चाहती थी। साथ ही भारतीयों की दुनिया भर में इतनी बड़ी तादाद होने के बाद भी इंटरनेट पर भारतीय भाषाएं बिल्कुल नदारद हैं। ऐसे में ये प्लैटफॉर्म खेल के मैदान को बराबर कर सकता है। भाषिणी इस लिहाज से अहम है।