मुंबई: औरंगाबाद के 48 साल के कॉटन कारोबारी को की ज़रूरत पड़ी तो उनकी पत्नी सामने आईं। लेकिन, यह ट्रांसप्लांट, नॉर्मल किडनी ट्रांसप्लांट से काफी अलग रहा। दावा है कि देश में इस तरह का यह पहला ट्रांसप्लांट हुआ है, क्योंकि पति-पत्नी न सिर्फ एचआईवी पॉजिटिव हैं, बल्कि दोनों का ब्लड ग्रुप भी अलग है। फिलहाल दोनों की तबीयत ठीक है।मेडिकवर अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ सचिन सोनी ने बताया कि दो वजहों से यह ट्रांसप्लांट, अन्य किडनी ट्रांसप्लांट से अलग था। सबसे पहले तो दोनों एचआईवी पॉजिटिव हैं। यही नहीं, दोनों का ब्लड ग्रुप भी अलग है। मरीज़ का ब्लड ग्रुप ए, जबकि पत्नी का बी है। ट्रांसप्लांट करने से पहले कई मेडिकल लिटरेचर की किताब खंगाली गई। हमारे सामने पहला ऐसा मामला आया था, जब एचआईवी टू एचआईवी किडनी ट्रांसप्लांट करना था और एबीओ भी मैच नहीं कर रहा था। 18 जनवरी को ट्रांसप्लांट सफल रहा।ऑपरेशन से पहले किया प्लाज्मा ट्रीटमेंटडॉक्टर सोनी की मानें तो, रिसर्च के दौरान एचआईवी टू एचआईवी ट्रांसप्लांट से संबंधित कुछ ही मामले दुनिया में देखने को मिले। लेकिन, हमारे लिए चुनौती यह भी थी कि डोनर अलग ब्लड ग्रुप का था। ऑपरेशन से पहले शर्त यह थी कि मरीज़ इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स हो। ऑपरेशन से पहले ब्लड प्लाज्मा ट्रीटमेंट किया गया, ताकि मरीज की बॉडी अलग ब्लड ग्रुप की किडनी को स्वीकार कर सकें। मरीज़ के बेटे ने बताया कि पैरेंट्स की तबीयत काफ़ी ठीक है। मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज़ के लिए मिली मदद परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज़ के लिए 2 लाख रुपये मिले। साथ ही ऑपरेशन के लिए कुछ पैसे उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार से लिया। तकरीबन 4 लाख रुपये की मदद दोस्तों ने की। इससे पहले 2010 में एचआईवी पॉजिटिव का किडनी ट्रांसप्लांट मुंबई में हुआ था, जब मरीज़ की मां डोनर बनीं। मरीज का इलाज़ कर रहे जसलोक अस्पताल के डॉक्टर मदन बहादुर ने बताया कि औरंगाबाद में एचआईवी टू एचआईवी किडनी ट्रांसप्लांट काफ़ी जोख़िम भरा कदम था।