मेसी के दिल में हमेशा रही विश्व विजेता बनने की हसरततेंदुलकर ने 1992 से वर्ल्ड कप खेलना शुरू किया था और सौ शतक वाली असाधारण लेकिन निजी कामयाबी के बावजूद उनके दिल में सिर्फ और सिर्फ एक ही हसरत थी। भारत को वर्ल्ड कप जीताना। उस टीम का हर खिलाड़ी देश के साथ साथ तेंदुलकर के लिए भी कप जीतना चाहता था जो मेसी के साथ 2022 में हुआ।
विराट भले ही माने रोनाल्डो को महान, लेकिन मेसी कई कदम आगे हैंविराट कोहली भले ही रोनाल्डो को महानतम मानते हों लेकिन अब उनकी राय से इत्तेफाक रखने वाले करोड़ों विराटियन भी उनके साथ खड़े नहीं हो सकते हैं। मेसी ने उस बहस को सिरे से खारिज कर दिया। अगर आपके जीनियस से आपकी टीम वर्ल्ड कप नहीं जीतती है तो आपकी जीनियस अधूरी है। आप तमाम तर्क और कुतर्क दे सकते हैं लेकिन इतिहास अक्सर आपको आपकी ट्रॉफी के चलते याद करता है।
कप्तान के तौर पर गांगुली मिसाल, लेकिन धोनी को मिला सबसे ज्यादा प्यारसौरव गांगुली ने भले ही अपने लड़ाकू नजरिये से भारतीय क्रिकेट में एक क्रांति लायी लेकिन एक नहीं बल्कि 2 वर्ल्ड कप जीतने वाली धोनी को ही सबसे ज्यादा दुलार मिलता है। कई मौके पर तो ऐसा भी लगता है कि कहीं धोनी की लोकप्रियता तेंदुलकर से भी ज्यादा तो नहीं है। धोनी ने कप्तान के तौर पर क्रिकेट में संपूर्णता हासिल की है। दो वर्ल्ड कप के अलावा धोनी ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती है और ऐसा करने वाले वो इकलौते कप्तान हैं।
मेसी में धोनी-सचिन की झलककई मायनों में मेसी के रवैये में आपको धोनी की झलक मिलती है। वही शांत स्वभाव, वही नैसर्गिक भाव।। मानो ये कह रहे हो कि ठीक है वर्ल्ड कप जीत भी लिया तो क्या। तेंदुलकर और धोनी की तरह मेसी ने खेल के मैदान में जो संपूर्णता हासिल की है वो ना सिर्फ काबिलियत बल्कि किस्मत के जरिये भी तय होती है। कहा जाता है कि अगर पूरी कायनात आपको कामयाब बनाने के लिए शिद्दत से प्रार्थना करने लगे खेल के ईश्वर को भी झुकना पड़ता है। मेसी की पटकथा ने इस लेखक को फुटबॉल में भी ईश्वर के होने का अहसास करा दिया है।