दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के नए सिरे से चुनाव कराने के दिल्ली के मेयर के फैसले को रद्द कर दिया। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के दोबारा चुनाव कराने के फैसले पर रोक लगा दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली भाजपा की पार्षद शिखा रॉय और कमलजीत सहरावत द्वारा दायर दो याचिकाओं पर एक आदेश पारित किया, जिसमें एमसीडी की स्थायी समिति के चुनाव के दौरान एक वोट को अवैध घोषित करने के मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसे भी पढ़ें: 2000 रुपये के नोटों को बिना फॉर्म और पहचान पत्र के बदले जाने के विरोध में Delhi HC में PIL दायरएचसी ने उन्हें 24 फरवरी को हुए मतदान के परिणामों को तुरंत घोषित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि मेयर, रिटर्निंग ऑफिसर भी हैं, अपनी शक्तियों से परे काम करती हैं और उनका निर्णय कानूनी रूप से अस्वीकार्य था। न्यायाधीश ने कहा कि महापौर द्वारा छानबीन के चरण और कोटे के निर्धारण के बाद मतपत्र को खारिज करने का कृत्य कानूनन गलत है। महापौर ने 24 फरवरी को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव के लिए नए सिरे से 27 फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजे मतदान कराने की घोषणा की थी। इसे भी पढ़ें: Dettol vs Santoor: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि विज्ञापन में उच्च न्यायालय ने पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिका पर 25 फरवरी को फिर से चुनाव कराने पर रोक लगा दी थी। सहरावत की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि विजेता को निर्धारित करने वाले कोटा का पता लगाने से पहले एक वोट की अमान्यता का समर्थन किया जाना चाहिए, लेकिन मौजूदा मामले में महापौर ने बाद के चरण में एक वोट को गलत तरीके से अमान्य करार दिया।