कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर पहुंच गए हैं। लेकिन हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करने जा रहे राहुल गांधी के काफिले को इंफाल के पास रोक दिया गया है। पुलिस का कहना है कि आगे अशांति है। राहुल का काफिला बिष्णुपुर जिले में रोका गया है। जिसके बाद वो वापस इंफाल लौटे।बिष्णुपुर के एसपी ने बताया कि राहुल समेत किसी को आगे नहीं जाने दिया जा सकता है। हमारे लिए उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में है। आगजनी हुई है और कल रात भी हालात बदतर थे।Rahul Gandhi’s convoy stopped by police at Bishnupurhttps://t.co/ZXEQsiHAIN pic.twitter.com/USkvl9xG0t— Press Trust of India (@PTI_News) June 29, 2023
वहीं कांग्रेस ने कहा है कि राहुल गांधी जी मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से मिलने जा रहे थे। BJP सरकार ने पुलिस लगाकर उन्हें रास्ते में रोक दिया। राहुल जी शांति का संदेश लेकर मणिपुर गए हैं। सत्ता में बैठे लोगों को शांति, प्रेम, भाईचारे से सख्त नफरत है। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए… ये देश गांधी के रास्ते पर चलेगा, ये देश प्यार के रास्ते पर चलेगा।राहुल गांधी जी मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से मिलने जा रहे थे।BJP सरकार ने पुलिस लगाकर उन्हें रास्ते में रोक दिया।राहुल जी शांति का संदेश लेकर मणिपुर गए हैं। सत्ता में बैठे लोगों को शांति, प्रेम, भाईचारे से सख्त नफरत है।लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए… ये देश गांधी के रास्ते पर… pic.twitter.com/KEdwCoDxvg— Congress (@INCIndia) June 29, 2023
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है। पुलिस का कहना है कि वे हमें इजाजत देने की स्थिति में नहीं हैं। राहुल गांधी का हाथ हिलाने के लिए लोग सड़क के दोनों ओर खड़े हैं। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्होंने हमें क्यों रोका है?Manipur | Rahul Gandhi’s convoy has been stopped by police near Bishnupur. Police say that they are not in a position to allow us. People are standing on both sides of the road to wave to Rahul Gandhi. We are not able to understand why have they stopped us?: Congress General… pic.twitter.com/LqYWhyo5AH— ANI (@ANI) June 29, 2023
आपको बता दें, कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को इंफाल पहुंचे, जहां 3 मई से जारी जातीय हिंसा में अब तक 120 लोगों की जान जा चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से 50,000 से अधिक पुरुष, महिलाएं और बच्चे अब राज्य भर में 350 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे हैं।वरिष्ठ कांग्रेस नेता दोनों जिलों में नागरिक समाज संगठनों, आदिवासी और गैर-आदिवासी नेताओं के साथ-साथ प्रमुख नागरिकों से भी बातचीत करेंगे। कांग्रेस मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है क्योंकि पार्टी का दावा है कि राज्य की भाजपा सरकार हिंसा से निपटने में पूरी तरह से विफल रही है। इससे पहले, कुछ कांग्रेस प्रतिनिधिमंडलों ने राज्य का दौरा किया और बाद में अपनी मांगों के लिए समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कांग्रेस नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया। मणिपुर के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में कांग्रेस विधायक दल के नेता, ओकराम इबोबी सिंह ने अगस्त 2008 में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा हस्ताक्षरित कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौते को वापस लेने से इनकार करने के लिए राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना की।उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद एसओओ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो एक शांति पहल के रूप में काम कर रहा है और कांग्रेस दृढ़ता से हिंसा का सहारा लेने के बजाय समाधान खोजने के साधन के रूप में शांति को आगे बढ़ाने में विश्वास करती है।दिग्गज कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया, “एसओओ समझौते के तहत कुकी उग्रवादियों ने जमीनी नियमों का सख्ती से पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस शासन के दौरान (2017 तक) हिंसा की कोई रिपोर्ट नहीं आई। हालांकि, उग्रवादियों ने मणिपुर में भाजपा शासन के तहत जमीनी नियमों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, और उन्हें चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया।”