मुंबई: से उपजे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि मामला राजनीतिक दायरे का है और इसे कोर्ट की ओर से शुरू करने पर खतरा हो सकता है। इससे पहले शिंदे ग्रुप की ओर से एनके कौल ने दलील पेश कर ठाकरे ग्रुप के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर जवाब दिया।शिंदे ग्रुप की ओर से एनके कौल की दलील के बाद हरीश साल्वे ने दलील पेश की और कहा कि यह मामला राजनीतिक दायरे में आता है। इसे कोर्ट में शुरू नहीं किया जाना चाहिए इससे खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दिया था और फिर राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे को फ्लोर टेस्ट के लिए कहा था। फ्लोर टेस्ट के दौरान उद्धव ग्रुप के 13 विधायकों ने शिंदे ग्रुप के फेवर में वोटिंग की थी। ‘राज्यपाल का काम लोगों की संख्या गिनना नहीं’उन्होंने दलील दी कि एस आर बोम्मई जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए कहेंगे। राज्यपाल का काम लोगों की संख्या गिनना नहीं है। इस मामले में सिंघवी और सिब्बल ने कहा कि कोर्ट लोगों की संख्या गिने और यह खतरनाक परिपाटी हो सकती है। हां 10 वीं अनुसूची की कुछ कमियों को दूर करने के लिए अकेडमिक बहस हो सकती है। बहरहाल आगे की सुनवाई 14 मार्च को होगी। पिछली सुनवाई में 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नबाम रेबिया जजमेंट पर दोबारा विचार करने के लिए मामले को लार्जर बेंच भेजने से इनकार कर दिया था। इसके बाद पांच जजों की बेंच के सामने जो कानूनी सवाल हैं उस पर सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान ठाकरे ग्रुप की ओर से सिब्बल ने दलील दी थी कि हाल के दिनों में यह बात दिख रही है कि गवर्नर भी देश की राजनीति में संलिप्त हो रहे हैं। रेबिया केस में क्या है?गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में एक मुद्दा नबाम रेबिया केस में 2016 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए जजमेंट को लेकर भी है। रेबिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर तब अयोग्यता कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते हैं, जब उनको हटाए जाने का प्रस्ताव पेंडिंग है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इस मामले को रेफर करने से फिलहाल इनकार कर दिया था। महाराष्ट्र सियासी संकट से उपजे सवालों पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मामले को संवैधानिक बेंच रेफर कर दिया था।