वॉशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के आखिरी हफ्ते में अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान भारत और अमेरिका में कई रक्षा समझौते होने की भी संभावना है। इन्हीं में से एक है, एम777 होवित्जर की लंबी दूरी तक मार करने वाले गोले की डील। पीएम मोदी के वॉशिंगटन पहुंचने से दो हफ्ते पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आए हैं। इस दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका में होने वाले रक्षा समझौते को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा की है। बैठक के दौरान तेजस लड़ाकू विमान के इंजन का भारत में निर्माण पर भी सहमति बनने के आसार हैं। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटके एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन की डील भी फाइनल हो सकती है। 150 किमी तक मार करेगा यह गोलाएम777 होवित्जर के लॉन्ग-रेंज मैन्यूवरिंग प्रोजेक्टाइल (LRMP) गोले को अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स ने तैयार किया है। इस नए गोले की अधिकतम रेंज 150 किलोमीटर है। भारत पिछले कई साल से एम777 होवित्जर का इस्तेमाल कर रहा है। इस गन को खासतौर पर चीन से लगी सीमा पर तैनात किया गया है। बाकी तोपों की अपेक्षा वजन में हल्का होने के कारण एम777 को आसानी से पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ऐसे में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को एम777 के नए गोले की बहुत ज्यादा जरूरत है।कैसे उड़ान भरता है यह गोलासी एयर स्पेस 2023 इवेंट के दौरान जनरल एटॉमिक्स ने खुलासा किया था कि उसके नए 155एमएम के गोले को एम777 होवित्जर से दागा जा सकता है। इसके अलावा उसे 39 कैलिबर बैरल वाली तोपों से भी फायर किया जा सकता है। कंपनी ने बताया था कि इस गोले की रेंज 150 किलोमीटर तक है। यह नया लॉन्ग-रेंज मैन्यूवरिंग प्रोजेक्टाइल बाकी तोप के गोलों से बिलकुल अलग है। इस गोले में चौड़े पंख जुड़े होते हैं, जो एक निर्धारित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ऑटोमेटिक खुल जाते हैं। इससे तोप का गोला तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। ऐसे में इस गोले की रेंज बाकी के गोले की अपेक्षा काफी बढ़ जाती है।इस साल के अंत तक शुरू होगा प्रोडक्शनजनरल एटॉमिक्स ने खुलासा किया है कि इस साल के अंत तक लॉन्ग-रेंज मैन्यूवरिंग प्रोजेक्टाइल का प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाएगा। अभी यह गोला परीक्षण के दौर से गुजर रहा है। अमेरिका का लक्ष्य नए गोले को 127 एमएम के तोप से फायर करने योग्य बनाने की भी है। ऐसे में लॉन्ग-रेंज मैन्यूवरिंग प्रोजेक्टाइल की रेंज घटकर 100 किलोमीटर हो जाएगी।