प्रभाकरन जिसकी दशहत से एक जमाने में श्रीलंका कांप उठा था, जिसने रची थी भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश क्या वो एक बार फिर सामने आएगा। क्या वाकई फिर जिंदा हो गया है वेलुपिल्लई प्रभाकरन। जिसने श्रीलंका को सालों तक दहलाया क्या वो मरकर फिर वापस आ चुका है। आखिर क्यों एक तमिल नेता दावा कर रहे हैं कि जिंदा है प्रभाकरन। क्या जिंदा है प्रभाकरन?एलटीटीई यानी लिट्टे श्रीलंका का उग्रवादी संगठन है जिसकी शुरूआत वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने की थी। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम, लिट्टे का पूरा नाम है। प्रभाकन ने सैकड़ों हजारों लोगों को अपने साथ इसमें जोड़ा और धीरे-धीरे ये संगठन बेहद ताकतवर बन गया ये आतंकी संगठन श्रीलंका के उत्तरी पूर्व के हिस्सों में पूरी तरह से अपनी जड़े जमा चुका था। करीब 25 सालों तक इस संगठन ने ऐसी दहशत फैलाई कि श्रीलंका सरकार दहल गई थी। 32 देशों ने लिट्टे को आतंकी संगठन घोषित किया था।प्रभाकरन ने बनाया था एलटीटीई संगठनइन लोगों की मांग थी अलग स्वतंत्र राज्य की। उत्तर पूर्वी इलाके में ज्यादातर तमिल थे, लेकिन बावजूद इसके इनका मानना था कि इनके साथ खासा भेदभाव होता है। सिहली जाति के लोग इनके साथ अन्याय करते हैं। कई छोटे-मोटे संगठन भी लिट्टे के साथ जुड़े हुए थे। आए दिन श्रीलंका में आतंकी घटनाओं की खबरें आती थी। करीब तीन दशकों तक लिट्टे और श्रीलंका की सरकार के बीच संघर्ष चलता रहा। दिन ब दिन लिट्टे और मजबूत होता जा रहा था और श्रीलंका की सरकार के लिए इसे संभालना मुश्किल हो रहा था। राजीव गांधी की हत्या में लिट्टे का हाथ!श्रीलंका की सरकार ने इस मामले में भारत की मदद मांगी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1987 में श्रीलंका में शांति सेना के नाम से एक सेना भेजी। इस दौरान करीब 10 हजार एलटीटीई लड़ाके मारे गए। माना जाता है कि राजीव गांधी की हत्या के पीछे प्रभाकरन का ही हाथ था। लिट्टे ने ही तैयार की थी राजीव गांधी को बम बलास्ट में खत्म करने की स्क्रिप्ट। 1991 में तमिलनाडू में एक सुसाइड बॉम में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। श्रीलंका में 3 दशक तक था लिट्टे का आतंकनब्बे के दशक में इस संगठन ने श्रीलंका में खासा आतंक फैलाया। श्रीलंका के प्रधानमंत्री प्रेमदासा की हत्या में भी लिट्टे का ही हाथ माना जाता है। इसके अलावा कोलंबो एयपोर्ट में बम बलास्ट, राष्ट्रपति चंद्रिका पर हमला, सेंट्रल बैंक को लूटना, श्रीलंका के विदेश मंत्री लक्ष्मण कादिरगमार की हत्या भी लिट्टे की लिस्ट में शामिल हो चुकी थी और लिट्टे को चला रहा था प्रभाकरन। प्रभाकरन की अलग राज्य की थी मांगप्रभाकरन का जन्म 26 नवंबर 1954 को श्रीलंका के वाल्वेटीथुराई में हुआ था। वो छात्र जीवन से ही श्रीलंका सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया था। तमिलों के साथ भेदभाव को लेकर उसका शुरू से ही विरोध था। साल 1972 में प्रभाकरन ने तमिल न्यू टाइगर्स के नाम से एक संगठन बनाया। मकसद वही था तमिलों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ना। बाद में 1976 में इसी संगठन को नया नाम लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्टे दिया गया। 2009 में मारा गया था प्रभाकरन26 साल तक प्रभाकरन लगातार श्रीलंका की सरकार से संघर्ष करता रहा। साल 2009 में आखिरकार सरकार को प्रभाकरन को मारने में कामयाबी मिली और इसके बाद ही लिट्टे का आतंक भी खत्म हुआ, लेकिन अब एक बार फिर प्रभाकरन के जिंदा होने की खबरें आ रही हैं। तमिल नेशनलिस्ट मूवमेंट के नेता पाझा नेदुमारन ने दावा किया कि LTTE का चीफ प्रभाकरन जिंदा है और वो जल्द सामने आएंगे। हालांकि श्रीलंका ने इन दावों को बेबुनियाद बताया है। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने साफ कहा कि प्रभाकरन 1 मई 2009 को मारा जा चुका है और उसके डीएनए से इस बात की पुष्टी भी हो चुकी है।