नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के रण में सभी राजनीतिक पार्टियां उतर गई हैं। 400 से ज्यादा सीटों का टारगेट पूरा करने के लिए BJP दक्षिण भारत में भी पूरा जोर लगा रही है। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस अपने साउथ के किले को बचाने के लिए कोशिश में जुटी हुई है। साउथ के पांच राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कुल मिलाकर लोकसभा की 130 सीटें हैं। पिछले दो आम चुनाव में कांग्रेस को मिली कुल सीटों के आधार पर पार्टी लोकसभा में अपने दम पर नेता प्रतिपक्ष का दर्जा पाने के लिए भी नाकाम रही। कांग्रेस की कोशिश है कि इस बार वह अपने अपेक्षाकृत सुरक्षित किले दक्षिण से कम-से-कम 50 सीटें निकाले। तमिलनाडु को छोड़कर वह ज्यादातर राज्यों में बड़े भाई की भूमिका में रहते हुए सहयोगी दलों को कम सीटें देकर अपनी सीटों की तालिका सुधारने का लक्ष्य लेकर चल रही है।क्या है कांग्रेस की रणनीति? कांग्रेस ने रणनीति बनाकर काम करना शुरू किया है। दक्षिणी राज्यों में 13 मई तक सभी चुनाव निपट जाएंगे। चुनाव के शुरू में पार्टी का खासा जोर साउथ पर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी तक लगातार वहां सभाएं, यात्रा, रोड शो कर रहे हैं। तमिलनाडु में राहुल गांधी ने स्टालिन के साथ मिलकर भी प्रचार किया। दक्षिण में बेहतर प्रदर्शन के लिए दोनों नेताओं ने इस साल जनवरी से अपने कार्यक्रमों में तेजी लाई। जहां एक ओर संगठन की मजबूती के लिए कार्यकर्ताओं को जमीन पर उतारने के लिए खरगे ने बेंगलुरू, तमिलनाडु, हैदराबाद और आंध्र प्रदेश में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया तो वहीं दूसरी ओर वह लगातार संभाएं कर रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में तमिलनाडु का दौरा किया था, जहां वह कोयंबटूर पहुंचे, जहां BJP कड़ी टक्कर दे रही है। यहां राहुल ने प्रदेश के सीएम एम. के. स्टालिन के साथ संयुक्त प्रचार किया। इससे पहले राहुल केरल में कई दौरे कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने अपने संसदीय इलाके वायनाड का दौरा किया था। घनी मुस्लिम आबादी वाले केरल में पार्टी ने हाल ही में अपने राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को प्रचार के लिए भेजा। उन्होंने कोचीन का दौरा किया।दक्षिण में कांग्रेस के दिग्गजों ने संभाला मोर्चा कांग्रेस ने दक्षिणी किले को बचाने के लिए दिग्गज भी मैदान में उतारे हैं। राहुल गांधी खुद वायनाड से मैदान में हैं तो वहीं संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल केरल के अलप्पुझा से। दूसरी ओर तेलंगाना और आंध्र में कांग्रेस ने दूसरे दलों से कई अहम चेहरों को लाकर माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश में है। तेलंगाना और कर्नाटक में सरकार होने के नाते पार्टी अपनी मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है। यहां तेलंगाना में BRS से कई चेहरे लाकर वह अपनी लड़ाई को मजबूत बनाने की कोशिश में है। तेलंगाना में BRS ज्यादातर सीटों पर अपनी टक्कर BJP से मान रही है। दूसरी ओर आंध्र प्रदेश में उसने वाईएसआर कांग्रेस और सीएम जगन मोहन को चुनौती देने के लिए उनकी बहन शर्मिला को साथ में लिया है। यहां TDP-BJP के साथ मिलकर असली चुनौती दे रही है।पिछली बार मिली थीं 27 सीटेंपिछली बार कांग्रेस साउथ की 130 सीटों में से 87 सीटों पर लड़ी थी और 27 सीटें जीती थीं। पिछली बार कांग्रेस देश भर में कल 423 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से वह 52 सीटें जीती थी। इस लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस को उसकी जीती हुई कुल सीटों में से आधी से ज्यादा दक्षिण से ही मिली थीं। कांग्रेस का जोर इस बार भी अपने दक्षिणी किले पर ज्यादा है। इस बार वह दक्षिण के पांच राज्यों की कुल 130 सीटों में से 94 सीटों पर लड़ रही है और उसकी कोशिश कम से कम 50 सीटों की जीतने की रहेगी। कांग्रेस की कोशिश है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें दक्षिण भारत से निकाल सके, ताकि वह इन सीटों की बदौलत संसद में अपने नंबरों को सुधारने का एक आधार बना सके।साउथ पर BJP की भी नजरें दक्षिण के किले को फतह करने के लिए BJP भी अपने सहयोगी क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने गठबंधन में जिताने के लिए मेहनत कर रही है। पीएम मोदी से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा तक साउथ में काफी समय दे रहे हैं। पीएम मोदी ने काशी में तमिल संगठन का आयोजन कराकर कर और संसद की नई इमारत में सैंगोल की स्थापना के जरिए दक्षिण की राह आसान बनाने की कोशिश की है। BJP कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में छोटे भाई की भूमिका में है तो वहीं कांग्रेस तमिलनाडु को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में बड़े भूमि बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है। तेलंगाना और केरल में BJP अपने दम पर लड़ रही है तो वहीं कर्नाटक में वह JDS के साथ मिलकर मुकाबले में हैं। आंध्र प्रदेश में BJP-TDP को साधकर मुकाबले को पूरी तरह से तिकोना बनाने की कोशिश में है। तमिलनाडु में BJP ने ए. रामदास की पार्टी PMK और अन्य दलों के साथ मिलकर विपक्षी गठबंधन को चुनौती देने की ठानी है।