मोबाइल, ईमेल, फोन और इंटरनेट सब बंद… फाइनेंस मिनिस्ट्री में शुरू हुआ ‘लॉकडाउन’

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है। मंगलवार को परंपरागत हलवा सेरेमनी के साथ ही बजट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर साल बजट की तैयारी के लिए लॉक इन प्रोसेस (lock-in process) से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। हलवा सेरेमनी के बाद करीब एक हफ्ते तक वित्त मंत्रालय के कुछ चुनिंदा अधिकारी नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहते हैं। इन लोगों को वित्त मंत्री का बजट भाषण होने के बाद ही बाहर निकलने की अनुमति होती है। ऐसा इसलिए होता है ताकि बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक ना होने पाए।इस बार भी में शामिल कर्मचारियों को एक हफ्ते तक लॉक इन में रहना पड़ेगा। एक तरह से उन्हें नजरबंद रखा जाता है। इस दौरान ये अधिकारी पूरी तरह बाहर की दुनिया से कटे रहेंगे। वित्त मंत्री के संसद में बजट पेश करने के बाद ही इन लोगों को अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों से मिलने की अनुमति मिलेगी। बजट को गोपनीय रखने के मकसद से ऐसा किया जाता है। बजट छापने के लिए नॉर्थ ब्‍लॉक के अंदर एक प्रेस भी है। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में बजट बनाने वाले अधिकारियों को ‘लॉक इन’ में रखा जाता है। बाहरी दुनिया से दूरभारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत वित्त मंत्री को हर साल संसद में बजट पेश करना पड़ता है। इसे गुप्त रखने के लिए बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल करीब 100 कर्मचारियों को एक हफ्ते तक अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हें मोबाइल, ईमेल, फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है। यानी वे पूरी तरह बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं। उन पर लगातार खुफिया विभाग की नजर बनी रहती है। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में अधिकारियों को इस तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है।देश में बजट बनाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। बजट बनने के एक महीने पहले से ही फाइनेंस मिनिस्ट्री में मीडिया की एंट्री बंद हो जाती है। इसकी वजह यह है कि बजट से जुड़ी गोपनीय जानकारी के लीक होने से देश की इकॉनमी को नुकसान हो सकता है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बजट बनाने की प्रक्रिया में कौन शामिल होगा, इसका खुलासा नहीं किया जाता है। पूरी जांच पड़ताल के बाद करीब 100 अधिकारियों और कर्मचारियों को इस काम पर लगाया जाता है। उन्हें नॉर्थ ब्लॉक में एक गुप्त जगह पर रखा जा सकता है। मोबाइल की अनुमति नहींजानकारों के मुताबिक बजट को अंतिम रूप देने वाले लोग मोबाइल नहीं रख सकते हैं और न ही उन्हें अपने घर पर बात करने की अनुमति होती है। प्रिंटिंग रूम में केवल एक लैंडलाइन फोन होता है। उसमें भी केवल इनकमिंग की सुविधा होती है। यानी इससे कॉल नहीं किया जा सकता है। इमरजेंसी की स्थिति में घर पर बात की जा सकती है लेकिन उसकी बात सुनने के लिए इंटेलिजेंस विभाग का एक आदमी हमेशा वहां सतर्क रहता है। वहां डॉक्टरों की एक टीम भी मौजूद रहती है ताकि किसी कर्मचारी की तबीयत खराब होने की स्थिति में उसका इलाज किया जा सके।इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट के दौरान वित्त मंत्रालय पर हर समय बारीकी नजर रखते हैं। बजट से जुड़े प्रमुख लोगों का फोन भी टेप किया जाता है। वित्त मंत्रालय में आने-जाने वाले हर आदमी पर सीसीटीवी के जरिए कड़ी निगरानी रखी जाती है। सभी कर्मचारी सीसीटीवी कैमरे की रेंज में रहते हैं। अगर इमरजेंसी में किसी प्रिंटिंग कर्मचारी को गुप्त कमरे से बाहर निकलता है तो उसके साथ इंटेलिजेंस विभाग और दिल्ली पुलिस का आदमी हमेशा साथ रहता है। वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वालों को दिए जाने वाले खाने की भी गहराई से जांच होती है। कागज की भी जांचपिछले कुछ साल से बजट डिजिटल फॉर्म में पेश किया जाता है। लेकिन पहले जब बजट के दस्तावेजों की छपाई होती थी तो पहले इससे जुड़े कागज पर भी आईबी की नजर रहती थी। बजट दस्तावेजों में इस्तेमाल होने वाला कागज इंटेलिजेंस विभाग अधिकारियों की देख-रेख में वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचता था। इसकी प्रिंटिंग, पैकेजिंग और संसद पहुंचने तक चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था रहती थी। लोकसभा में सुबह 11 बजे बजट पेश होता है। वित्त मंत्री का बजट स्पेस इसके बाद ही नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को घर जाने की अनुमति दी जाती है।