
मुकदमों का पहाड़ और लंबी-लंबी छुट्टियों पर जाती हैं अदालतें
बीजेपी सांसद ने उच्च अदालतों में लंबी-लंबी छुट्टियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों का पहाड़ खड़ा हो गया है, फिर भी अदालतें गर्मियों में करीब 47 दिन और सर्दियों में करीब 20 दिन के लिए छुट्टियों पर चली जाती हैं। मुकदमों को नजरअंदाज करते हुए अदालतें तब इतनी लंबी-लंबी छुट्टियां लेती हैं जबकि सामान्य सेवाओं के दफ्तरों का पूरे साल कामकाज चलता है। सुशील मोदी ने कहा, ‘कुछ लोग कह सकते हैं कि छुट्टियों में भी वैकेशन बेंच तो काम करती ही है… लेकिन हमें पता है कि वैकेशन बेंच कितना काम करती है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अदालतों की छुट्टियां खत्म करने की मांग करता हूं।’ उन्होंने कहा कि जिस तरह आम सरकारी दफ्तर काम करते हैं, वही सिस्टम अदालतों को भी पालन करना चाहिए।
कॉलेजियम सिस्टम पर पहले से ही चल रही है भिड़ंत
ध्यान रहे कि सरकार हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम पर उंगली उठा रही है। पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाया, फिर उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा चेयरमैन के तौर पर हैरानी जताई कि संसद में सर्वसम्मति से पास राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। राज्यसभा के सभापति ने कहा कि ऐसा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं देखा जाता है कि संसद के बनाए कानून को अदालत खारिज कर दे। दिलचस्प बात है कि सुप्रीम कोर्ट के लिए नया मोर्चा भी राज्यसभा से ही खुला है।