नई दिल्ली/पटना: जमीन के बदले नौकरी घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राजद प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव को जमीन के बदले नौकरी घोटाले में मुख्य लाभार्थी करार दिया है। सीबीआई जल्द ही इस मामले में चरणबद्ध तरीके से पूरक आरोपपत्र (चार्जशीट) दायर करेगी। जुलाई में दायर की गई सीबीआई की पूरक चार्जशीट में तेजस्वी यादव को पहली बार आरोपी बनाया गया। सीबीआई का आरोपी है कि लालू यादव के परिवार ने अपने नाम पर कंपनियां बनाकर जमीनें खरीदीं। बाद में इन जमीनों का मालिकाना हक लालू परिवार के सदस्यों के नाम ट्रांसफर कर लिया। कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट में क्या क्यातेजस्वी बिहार के डिप्टी सीएम हैं। लालू यादव और उनकी पत्नी दोनों राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ‘लालू प्रसाद यादव ने अन्य मामलों में भी ऐसा ही कहा था।’ सीबीआई ने दावा किया है कि ‘बड़ी साजिश केवल नौकरियों के बदले जमीन लेने तक ही सीमित नहीं है। कार्यप्रणाली से यह भी पता चलता है कि भुगतान नकद में या राजनीतिक और इस तरह के अन्य प्रोत्साहनों के लिए किया गया है।’आरोप पत्र में शामिल कंपनी के बारे में विस्तार से बताते हुए सीबीआई ने कहा है कि ‘मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के नाम पर एक भूमि पार्सल खरीदा गया था। लालू और उनके सहयोगी प्रेम चंद गुप्ता (राजद नेता और तत्कालीन कॉरपोरेट मामलों के मंत्री) ने प्रमोटरों को कंपनी के नाम पर जमीन खरीदने के लिए मना लिया था। लालू और प्रेम चंद गुप्ता ने प्रमोटरों से वादा किया था कि वो बाद में उक्त जमीन को उनसे वापस खरीद लेंगे।’ आरोप पत्र के अनुसार, उसी कंपनी की ओर से एक अन्य भूमि पार्सल के साथ खरीदी गई जमीन को 1 लाख रुपये की मामूली कीमत पर शेयरों का ट्रांसफर कर राबड़ी देवी और तेजस्वी के नाम कर दिया गया था। उपरोक्त कंपनी के पास अचल संपत्ति/भूमि पार्सल थे, जिनकी उस समय मार्केट बैल्यू लगभग 1.77 करोड़ रुपये थी।आरोप पत्र में कहा गया है कि ‘एके इंफोसिस्टम्स कंपनी का इस्तेमाल 2006-2010 के दौरान रेलवे में नौकरी जैसे अनुचित लाभ के बदले में कई व्यक्तियों से सीक्रेट तरीके से भूमि पार्सल खरीदने के लिए किया गया था।’ आरोप पत्र में कहा गया है, ‘उक्त कंपनी की ओर से अधिग्रहीत भूमि के टुकड़े सर्कल दरों या उससे भी कम दरों पर बेचे गए थे।’ चार्जशीट में कहा गया है कि, ‘एके इंफोसिस्टम्स की ओर से खरीद के दौरान संपत्तियों की मौजूदा बाजार दरें सर्कल रेट से कम से कम 4-5 गुना अधिक थीं।”2014 में कंपनी को लालू-राबड़ी तेजस्वी ने अपने कब्जे में ले लिया’आरोप पत्र में कहा गया है कि ‘लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी ने 2014 में कंपनी को अपने कब्जे में ले लिया। वर्ष 2014 में लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों की ओर से कंपनी पर कब्ज़ा करने के समय कंपनी के स्वामित्व वाली उक्त संपत्तियों का बाजार मूल्य बहुत अधिक था।’ अपनी जांच का हवाला देते हुए सीबीआई का कहना है कि ‘2017 में राबड़ी देवी और तेजस्वी के स्वामित्व वाली मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स ने अचानक कंपनी के प्रमोटर निदेशक को 1.35 करोड़ (लगभग) रुपये की राशि वापस कर दी। यह आयकर छापे और 2017 की अवधि के दौरान लालू के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज आईआरसीटीसी मामले के परिणामस्वरूप किया गया था।’ सीबीआई ने अदालत को बताया है कि लालू और तीन अन्य रेलवे अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लंबित है।एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि राजद के राज्यसभा सदस्य प्रेम चंद गुप्ता की भूमिका जांच के दौरान सामने आई है। गुप्ता सहित कुछ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी जांच चल रही है। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि मामले में शामिल अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र के साथ उनके खिलाफ एक डिटेल चार्जशीट भी दायर की जाएगी। 20 मई को लालू के आवास से बरामद हुई थी हार्ड डिस्कसीबीआई का दावा है कि 20 मई को लालू के आवास से एक हार्ड डिस्क बरामद हुई थी। हार्ड डिस्क में कुल 1,504 लोगों की डिटेल मिली थी। आरोप पत्र में कहा गया है कि इन 1,504 लोगों में से 900 से अधिक रेलवे में कार्यरत पाए गए हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि लालू ने रेल मंत्री के पद पर रहते हुए न केवल पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों को प्रभावित किया, बल्कि उन पर आधिकारिक दबाव भी डाला। चार्जशीट में कहा गया कि ‘यह लालू का ही प्रभाव था कि कई अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेज जमा कर नौकरी पाने में सफल हो गए।’