बिहार में 1990 वाला ‘कांड’ फिर दुहराएंगे लालू? फ्लोर टेस्ट में ‘खेला’ का मतलब समझिए

पटना: बिहार की सियासत में राजद सुप्रीमो का एक बार फिर जलवा कायम है। कहा ये जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट की बागडोर थामे लालू प्रसाद ने मैजिक नंबर पाने के लिए जो जाल बिछाया था, उसकी कामयाबी का असर एनडीए के दलों पर दिखने लगा है। लालू प्रसाद यादव अब अपनी रणनीति में कितने कामयाब होते हैं, ये तो 12 फरवरी को पता चलेगा। लेकिन एक मनोवैज्ञानिक दबाव तो जदयू और भाजपा पर बना ही डाला है।भाजपा को भी लगी नजरदिलचस्प तो ये है कि चाल,चरित्र और चेहरा वाली पार्टी को भी नजर लग गई है। क्रॉस वोटिंग या फिर विधायकों के अनुपस्थित रह जाने के मानसिक दबाव में आ गई है। ये दबाव इतना प्रबल हो चुका है कि भाजपा के विधायक को फ्लोर टेस्ट तक गया के किसी रिजॉर्ट में रुकने के लिया बाध्य किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि झेंप मिटाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम है। ये इसलिए भी कि भाजपा कार्यक्रम को लेकर अक्सर जानकारी देते रहती है। मगर, 12 फरवरी को गया में होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर कोई जानकारी पहले नहीं दी गई थी।पहले भी लालू ने की थी सेंधमारीवर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव के साथ लालू यादव की राजनीति भी परवान पा रही थी। तब बिहार और झारखंड एक साथ थे और 324 विधानसभा क्षेत्र थे। इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं आया था। तब कांग्रेस को 71 और जनता दल को 122 सीट आई थी। बहुमत के लिए 163 विधायक की जरूरत थी। उस वक्त भाजपा को 39 सीटें मिली थी। भाजपा ने तब कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए जनता दल का समर्थन किया और लालू यादव सत्तासीन हुए थे। लेकिन ये साथ बहुत दिन तक नहीं चला। भाजपा की रथयात्रा को रोक लालू यादव ने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया। तब भाजपा ने अपना समर्थन खींच लिया। सरकार पर संकट गहरा गया था। लालू यादव ने भाजपा के विधायकों को तोड़कर अपनी गद्दी बचा ली थी। भाजपा नेता इंदर सिंह नामधारी ने अपने साथ कई भाजपा विधायक को तोड़ लालू यादव की सरकार बचा ली थी।तो क्या लालू इतिहास दोहराएंगे!एक बार फिर लालू यादव की कूटनीति दांव पर है। मगर, इस बार लालू यादव अपनी सरकार बचाने की नहीं बल्कि एनडीए की सरकार को फ्लोर टेस्ट में गिराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लालू यादव के संपर्क में भाजपा और जदयू के 22 विधायक हैं। जिन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने, राज्यसभा भेजने या एमएलसी बनाने का प्रलोभन दिया जा रहा है। चर्चा ये है कि लालू यादव लगातार पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के संपर्क में हैं। इनके पास भी चार विधायक हैं। एनडीए के कुल विधायकों की संख्या 128 है। ऐसे में 7 विधायक भी क्रॉस वोटिंग कर देते हैं तो एनडीए की सरकार फ्लोर टेस्ट में पराजित हो सकती है।’बिहार में एनडीए सरकार बनी रहेगी’वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क का मानना है कि एनडीए सरकार पर खतरा तो है, मगर बहुमत साबित करने में सफल होगी। लालू यादव तिकड़म लगा सकते हैं। उनके पास विधायकों को देने के लिए लोकसभा की कई सीटें भी हैं। लेकिन समस्या ये है कि अभी केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार है। ऐसे में विधायकों का मन सत्तापक्ष की ओर जाने का होता है। बहुत कम ऐसा होता है कि सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष के साथ चले आते हैं। दूसरा फैक्टर ये है कि अभी एक लंबा समय शेष है। विधानसभा का चुनाव नवंबर 2025 में होना है। ऐसे में शायद ही कोई विधायक अपनी विधायकी गंवाना चाहेगा। मगर, राजनीति संभावनाओं का खेल है और खेल कोई भी ‘खेल’ सकता है।