पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान दो बातें कहीं। पहला तो उन्होंने यह कहा कि बीजेपी को हिट करने के लिए मैं पूरी तरह ‘फिट’ हूं। दूसरा कि उन्होंने को सलाह दे डाली कि अब आप शादी कर लीजिए। हम सभी आपकी शादी में बाराती बनेंगे। इन दोनों बातों का निहितार्थ समझिए। उनके फिट रहने वाली बात उन्हें जेल के दरवाजे पर फिर पहुंचा सकती है तो राहुल को सलाह देने वाली बात बड़ा राजनीतिक संकेत है।खुद को फिट बताना बन सकता है जेल जाने का रास्ता लालू यादव की बातचीत का अंदाज वैसे भी निराला होता है। साधारण बात से लेकर गंभीर बात तक वे अपने अंदाज में कह देते हैं। लालू ने विपक्षी एकता बैठक में कहा कि मैं पूरी तरह फिट हूं। हर हाल में भाजपा को हिट करना है। इसका अर्थ यह हुआ कि वह अपनी बीमारी के बारे में फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। चारा घोटाले में लालू जब जेल में थे तो बीमारी के नाम पर उन्होंने कई बार बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त किया था। इस बार भी वे किडनी ट्रांसप्लांट के नाम पर जेल से बाहर हैं। लालू का यह बयान जब सोशल मीडिया पर आया तो जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने लिखा कि बीमारी के इलाज के लिए लालू बाहर आए थे। अब अपने को फिट बता रहे तो जाहिर है कि वे स्वस्थ हो गए हैं। अब उन्हें फिर से जेल भेज देना चाहिए।तो क्या राहुल गांधी बनेंगे एकजुट विपक्ष का ‘दूल्हा’? लालू ने दूसरी बात राहुल गांधी के बारे में कही। उन्होंने कहा कि राहुल जी, अब आप शादी कर लीजिए, दाढ़ी छोटी रखिए। यहां हम जितने लोग बैठे हैं, वे सभी बाराती बनेंगे। कहने के लिए तो यह सामान्य बात है, पर इसकी गहराई समझिए। राहुल गांधी जब पटना पहुंचे तो सीएम नीतीश कुमार उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंच गए थे। लालू से तकरीबन सभी विपक्षी नेता उनके घर जाकर मिल आए थे। लालू का बैठक में शामिल होना कोई जरूरी नहीं था। डाक्टरों के मुताबिक जिस व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट होता है, उसे काफी एहतियात बरतनी होती है। भीड़भाड़ से बचना होता है। खाने-पीने में परहेज करना पड़ता है। पर, लालू ने इसकी चिंता नहीं की और बैठक में शामिल हुए। राहुल को दूल्हा और बैठक में शामिल नेताओं के बाराती बनने की बात कह कर लालू ने बड़ा संकेत दे दिया है। नीतीश ने राहुल को विपक्ष का नेता तो स्वीकार ही कर लिया है, अब लालू ने भी परोक्ष तौर पर राहुल को विपक्ष का नेता भी घोषित कर दिया है।पीएम के फेस पर शिमला बैठक में हो सकती है घोषणा बैठक के बाद जो बात छन कर बिहार के सियासी गलियारे में तैर रही है, वह चौंकाने वाली है। दरअसल बिहार के महागठबंधन में शामिल सभी दल नीतीश और लालू की बात काट नहीं सकते। नीतीश ने शुरू से ही कांग्रेस को जिस तरह से तरजीह दी है, उससे एक बात तो साफ है कि उनके मन में राहुल गांधी को पीएम बनाने की ख्वाहिश है। नीतीश कुमार बार-बार कह रहे थे कि कांग्रेस कहे तो विपक्षी एकता की बात आगे बढ़ाई जा सकती है। वे आरजेडी और जेडीयू के उकसाने के बावजूद तब तक आगे नहीं बढ़े, जब तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनकी मुलाकात नहीं हो गई। मुलाकात के बाद तो वे स्प्रिंग की तरह उछलने लगे। विपक्षी नेताओं से मिलने का सिलसिला उन्होंने आरंभ कर दिया। कांग्रेस पहले से ही कहती आ रही है कि राहुल गांधी ही पार्टी के पीएम फेस होंगे। अब नीतीश के बाद लालू ने भी राहुल को दूल्हा बनाने और विपक्षी नेताओं को बाराती बनने की सलाह देकर साफ कर दिया है कि कम से कम बैठक में शामिल 15 दलों के 27 नेता राहुल गांधी के दूल्हा बनने पर सहमत हैं। संभव है कि इसका औपचारिक ऐलान शिमला बैठक में हो जाए। बहुत विवाद की स्थिति में ही इस फैसले की घोषणा फिलहाल रोकी जाएगी।अब विपक्षी बैठक का एक और संकेत समझ लीजिए बैठक के बाद जब साझा प्रेस कांफ्रेंस चल रहा था तो ममता ने दो बातें कहीं। पहला कि दिल्ली में होती रहीं विपक्षी बैठकें सफल नहीं हो पाती थीं। इसीलिए उन्होंने पटना में बैठक बुलाने की सलाह दी। उनका इशारा कांग्रेस की ओर था, जो ऐसी बैठकें अमूमन दिल्ली में बुलाती रही है। दूसरी बात उन्होंने यह कही थी कि कांग्रेस और लेफ्ट को दूसरे विपक्षी दलों से रिश्ते निभाने होंगे। ऐसा न हो कि हम कर्नाटक या दूसरे राज्यों में मदद करें और बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट उनसे दुश्मनी रखें। इसका जवाब राहुल गांधी ने दिया कि फ्लेक्सीबल तो होना ही पड़ेगा। यानी कांग्रेस भी अपनी अकड़ ढीली करने की तैयारी में है, पर स्वाभिमान से समझौता नहीं करेगी।बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट साथ लड़ेंगे लोकसभा चुनाव इधर पटना में विपक्षी एकता की बैठक खत्म हुई और उधर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने साफ कर दिया कि बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट मिल कर लड़ेंगे। टीएमसी से कोई समझौता नहीं होगा। बंगाल में चल रही पंचायत चुनावों की प्रक्रिया के दौरान टीएमसी के अत्याचार से ऊबी कांग्रेस मतदाताओं को अभी विपक्षी एकता का संदेश नहीं देना चाहती। इससे वोटरों में कनफ्यूजन पैदा होगा। हालांकि यह भी हो सकता है कि कांग्रेस की भीतरी रणनीति की उन्हें जानकारी हो। कांग्रेस और वाम दल सच में टीएमसी से बंगाल में दूरी बनाए रखना चाहते हों। रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क