‘बड़े भाई’ पर लगातार आक्रामक कुशवाहा, फिर भी एक्शन को लेकर क्यों दुविधा में है JDU?

पटना: बिहार की राजनीति में इस समय सबकी नजर सत्ताधारी जेडीयू में चल रहे सियासी उठापटक पर है। पार्टी संसदीय बोर्ड के प्रमुख () ने खुले अंदाज में बगावती तेवर अख्तियार कर रखा है। जिस तरह उन्होंने जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ पार्टी में रहकर मोर्चा खोल रखा है, वो बेहद चौंकाने वाला है। यही नहीं आश्चर्य इस बात पर भी है कि आखिर जेडीयू नेतृत्व उन पर एक्शन क्यों नहीं ले रहा? क्या पार्टी में इसको लेकर कोई दुविधा है? सियासी जानकारों के मुताबिक, कुशवाहा के बदले तेवरों के बावजूद जेडीयू की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने की अहम वजह है।

इसलिए जेडीयू नहीं कर रही कार्रवाई

जेडीयू के नेता मानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी की शह प्राप्त है, लेकिन कोई इसे लेकर खुलकर नहीं बोल पा रहा। कहा जा रहा कि कुशवाहा जहां पार्टी से निकाले जाने के बाद ‘शहीद ‘ होकर लोगों की सहानुभूति जुटाने की योजना बना चुके हैं। वहीं पार्टी इनसे मुक्ति तो चाह रही है, लेकिन शहीद नहीं होने देना चाह रही है। ऐसी स्थिति में जेडीयू नेतृत्व असमंजस में है। खुद सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कह चुके हैं कि जिन्हें जाना जाए कौन रोक रहा। यानी कुशवाहा को पार्टी छोड़ने की सहमति दे चुके हैं। हालांकि, कुशवाहा ने भी एक ट्वीट के जरिए साफ कर दिया ऐसे कैसे चले जाएं। उन्होंने नीतीश कुमार को बड़ा भाई कहते हुए अपने हिस्से का जिक्र भी किया।

बीजेपी भी वेट एंड वॉच की भूमिका में

दूसरी ओर देखा जाए तो बीजेपी दर्शक की भूमिका में है। उनके नेताओं की ओर से कमेंट्स तो किए जा रहे लेकिन सीधे तौर पर कुछ भी एक्शन से बच रही है। दरअसल, बीजेपी किसी भी परिस्थिति में अपना लाभ ही देख रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जिन्होंने भी आरजेडी के शासनकाल के दौरान जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी है उसके लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। जायसवाल के इस बयान के बाद साफ है कि कुशवाहा को बीजेपी लेने के लिए तैयार है।

कुशवाहा के दांव से बिहार में सियासी घमासान तेज

वैसे, उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू में अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का विलय किया है। ऐसी परिस्थिति में कुशवाहा अगर बीजेपी में जाते हैं, तो वे सिर्फ जदयू के एक नेता के रूप में जाएंगे। इन हालात में बीजेपी कुशवाहा का मूल्यांकन भी करेगी। वैसे, संभावना यह भी है कि कुशवाहा के साथ कई सांसद और विधायक भी हैं। ऐसी स्थिति में जेडीयू से अलग होते हैं, तो वो कितने विधायकों या नेताओं को अपने साथ ला सकते हैं, इस पर बीजेपी जरूर नजर रखेगी।

जेडीयू में रहकर अभी पार्टी को ‘टेंशन’ देते रहेंगे कुशवाहा

माना जाता है कि कुशवाहा ने अपनी हिस्सेदारी की मांग पर इसी का संकेत दिया है। इससे पहले भी जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह के साथ भी पार्टी में यही स्थिति बनी थी। तब उन्होंने पार्टी से अलग रास्ता अख्तियार कर लिया। लेकिन इससे उलट कुशवाहा ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि वे पार्टी नहीं छोड़ने वाले है। ऐसे में यह साफ है कि वे पार्टी में रहकर ही पार्टी नेतृत्व की टेंशन बढ़ाते रहेंगे।