इस्लामाबाद: इमरान खान की मांग के बाद भी पाकिस्तान में चुनाव नहीं कराना पड़े, इसके लिए शहबाज शरीफ सरकार तरह-तरह के बहाने कर रही है। ताजा मामले में पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अगर देश के पंजाब प्रांत में चुनाव संघीय चुनाव से पहले कराए जाते हैं तो भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पाकिस्तान की कमजोरी का फायदा उठाकर संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव देश को खतरे में डाल सकते हैं।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा, भारत की रॉ ने कमजोरियों की पहचान की है ताकि पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाया जा सके। खासतौर पर जातीय मुद्दे, पानी का विवाद, पंजाब का कब्जा, पंजाब की ओर किया गया उपनिवेशीकरण और बलूचिस्तान में आतंकवाद। ऐसे में पंजाब विधानसभा में चुनाव कराना तनाव को और भड़काएगा। इससे देश में अस्थिरता भड़क सकती है।’ पाकिस्तान ने कहा कि वैश्विक ग्रेट गेम का देश शिकार होता रहेगा जहां भारत फायदे में है।
पाकिस्तान सरकार ने एक बार फिर से भारत पर आतंकवाद को भड़काने का आरोप लगाया। पाकिस्तान ऐसे बेबुनियाद बयान अक्सर देता रहता है और अब चुनाव नहीं कराना पड़े, इसलिए रॉ पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने आतंकवादी हमलों की आशंका के चलते सुप्रीम कोर्ट से चुनाव कराने के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है। समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने देश में एक साथ चुनाव कराने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक सीलबंद याचिका दायर की है। इसी में उसने भारत की रॉ का नाम लिया है।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी), वित्त मंत्रालय और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने पंजाब में चुनाव के लिए धन के प्रावधान के संबंध में अपनी-अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। एसबीपी ने धन जारी न करने के कारणों का हवाला दिया, जबकि वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कैबिनेट के फैसले का विवरण और मामले को संसद में भेजना शामिल था। समा टीवी ने बताया कि सूत्रों के मुताबिक, ईसीपी रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावों के लिए धन नहीं है और सुरक्षा को लेकर भी चिंता है।
रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में देश में बढ़ी सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर एक ही दिन चुनाव कराने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि सशस्त्र बल अक्टूबर की शुरुआत तक चुनाव कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम होंगे। रिपोर्ट में कहा गया, ‘खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान में चल रही सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद-रोधी अभियानों के साथ-साथ पंजाब और सिंध में खुफिया-आधारित अभियानों के कारण, सशस्त्र बल, रेंजर्स, फ्रंटियर कांस्टेबुलरी और अन्य बल छह महीने की अवधि में दो बार चुनाव सुरक्षा मुहैया करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं।’ डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, आवेदन में समझाया गया है कि इसलिए, केपी और बलूचिस्तान से सैनिकों के किसी भी मोड़ का परिणाम पंजाब और सिंध में सुरक्षा स्थिति को सीधे प्रभावित करेगा।