नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में पलूशन ने सबका दम बिगाड़ कर रखा है। राजधानी जैसे गैस चेंबर बन चुकी है। ढंग से सूर्यदेवता के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं। दिल्ली सरकार भी इसे कम करने के लिए ताबड़तोड़ फैसले ले रही है। इसी कड़ी में कनॉट प्लेस या कहें राजीव चौक के पास बने स्मॉग टावर को भी 8 महीने बाद दोबारा खोल दिया गया है। सवाल यह है कि आखिर इस स्मॉग टॉवर को बंद क्यों किया गया था। इसके पीछे की वजह है इसका रखरखाव और बिजली का बिल। लेकिन पलूशन से लड़ने के लिए उसके पंखे और टावर पर पड़ी धूल को भी साफ किया जा रहा है।एक स्मॉग टावर पर कितना खर्त आता है?हमारे ,सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसकी पड़ताल की तो पाया कि सीपी में खड़े इस स्मॉग टावर के रखरखाव पर भारी खर्च और महंगा बिजली बिल इसके लिए जिम्मेदार है। सूत्रों ने कहा कि एक साल के लिए संचालन और रखरखाव की लागत लगभग 2 करोड़ रुपये थी, जबकि 2022 में बिजली बिल लगभग 1 करोड़ रुपये था। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अक्टूबर में बताया था कि स्मॉग टावर सात महीने से बंद पड़ा था। इंजीनियरों, ऑपरेटरों और सहायकों सहित 10 लोगों की एक टीम को 7 महीने पहले साइट से हटा दिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि टावर के संचालन के लिए बुधवार को फिर से विशेषज्ञों को बुलाया गया था। चूंकि यह कई महीनों से बंद था, इसलिए टावर और उसके पंखे पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी। जब TOI ने मौके का दौरा किया तो कर्मचारी उसकी सफाई और रखरखाव में व्यस्त थे।आईआईटी बॉम्बे की ओर से दो साल तक एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मॉग टावर PM2.5 को क्रमशः 20 और 400 मीटर और उससे अधिक की दूरी के लिए 48% और 13% तक कम करने में सक्षम था। यह PM10 को 20 मीटर की दूरी पर 56% और 400 मीटर से अधिक की दूरी पर 14% तक कम करने में सक्षम था।दिल्ली के पलूशन से लड़ने के लिए AAP सरकार ऐक्शन में दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रदूषण को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए सभी उत्तरी राज्यों और केंद्र के साथ एक संयुक्त कार्य योजना की तत्काल आवश्यकता है। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों के अनुसार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया है। हालांकि, पड़ोसी राज्यों की सरकारों ने स्थिति के प्रति पूर्ण उदासीनता दिखाई है। यह उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद केंद्र सरकार संयुक्त बैठकें बुलाएगी और इस मामले पर निर्णय लेगी। उन्होंने आगे कहा कि खुले में जलने की घटनाओं की जांच के लिए एमसीडी, डीपीसीसी और राजस्व विभाग के अधिकारियों की 611 संयुक्त टीमें गठित की गई हैं।