इस्लामाबाद: पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर खड़ी है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से नए कर्ज के लिए बातचीत कर रही है। इस महीने की शुरुआत में आईएमएफ की एक टीम पाकिस्तान पहुंची थी। 10 दिनों तक चली बातचीत के बाद भी आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज की किश्त जारी करने से पहले और अधिक बातचीत पर जोर दिया। हालांकि, पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने दावा किया कि 1.1 बिलियन डॉलर की सहायता के लिए के कई शर्तों पर सहमत हो गया है। ऐसे में जानिए उन शर्तों को जिस पर पाकिस्तान और आईएमएफ में सहमति बनी है।1- पाकिस्तान सरकार 170 अरब रुपये का राजस्व जुटाने के लिए टैक्स बढ़ाएगी और दूसरे राजकोषीय उपायों को लागू करेगीय़2- विदेशी मुद्रा के एक्सचेंज रेट को बाजार के हिसाब से तय किया जाएगा। वर्तमान में पाकिस्तान सरकार ने डॉलर के मूल्य को तय करने वाले लोवर सर्किट को खत्म किया हुआ है।3- पेट्रोलियम शुल्क बढ़ाने की सरकार की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जाएगा। 1 मार्च और 1 अप्रैल को हर बार डीजल शुल्क दो बार 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया जाएगा।4- आईएमएफ के सुझाए गए ऊर्जा सुधारों पर पाकिस्तान की कैबिनेट में चर्चा की जाएगी और उस पर अनुमोदन किया जाएगा। इससे पाकिस्तान को अपने सर्कुलर डेब्ट को पूरी तरह से कम करना शामिल होगा। सर्कुलर डेब्ट- सार्वजनिक कर्ज का एक रूप है जो सब्सिडी और बकाया बिजली बिलों के कारण बनता है। इस सर्कुलर डेब्ट को पूरी तरह से खत्म करना तत्काल आवश्यक नहीं होगा।5- पाकिस्तान गैस से जुड़ा कोई सर्कुलर डेब्ट नहीं लेगा। 6- सब्सिडी को कम के कम किया जाएगा।7- समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर मुद्रास्फीति के बोझ को कम करने के लिए बेनजीर आय सहायता कार्यक्रम के बजट को 40 अरब रुपये बढ़ाकर 360 अरब रुपये से 400 अरब रुपये करना होगा।