गुवाहाटी: पिछले चुनाव में पूर्वोत्तर में बीजेपी का कमल खिलाने वाले असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के पोस्टर हिमंत बिस्व सरमा की इन चुनावों में डील मेकर के रूप में छवि भी उभरी है। एक ओर जहां त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी गठबंधन की सरकार की तस्वीर साफ है, वहीं मेघालय में नैशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ गठबंधन के लिए हिमंत सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने एनसीपी प्रमुख और मेघालय सीएम कोनराड संगमा के साथ एक दिन पहले ही मुलाकात की है।बीजेपी के नेतृत्व पूर्वोत्तर विकास गठबंधन (एनईडीए) की जिम्मेदारी हिमंत सरमा को सौंपी है। जब से तीनों राज्य (मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा) में चुनाव का ऐलान हुआ हिमंत ने लगभग हर रोज यहां दौरा किया और साथ ही अपने राज्य की कमान भी कमजोर नहीं पड़ने दी। नगालैंड और त्रिपुरा में कैसे बनी बातसबसे पहले नेफियू रियो को उग्रवाद से प्रभावित राज्य नगालैंड में दूसरे कार्यकाल के लिए अपने विश्वास में लिया। फिर माणिक साहा के रूप में एक ऐसे चेहरे को खोजने में दिल्ली हाईकमान की मदद की जो त्रिपुरा में पार्टी का डैमेज कंट्रोल कर सके। आखिर में बात कोनराड संगमा की, जिनकी पार्टी नैशनल पीपल्स फ्रंट (एनपीपी) ने मेघालय चुनाव से कुछ रोज पहले ही बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। नतीजे आने से एक दिन पहले ही हिमंत यहां सक्रिय हो गए थे। उन्होंने कोनराड संगमा से बातचीत कर गठबंधन के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।अमित शाह के करीबी हैं हिमंतएक समय कांग्रेस में रहे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनके अच्छे संबंध हैं। इसी वजह से हिमंत बिस्व सरमा दिल्ली में हाई कमान के पसंदीदा बने हुए हैं। उनके रूप में पहली बार बीजेपी को गुजरात और दिल्ली से दूर किसी राज्य से स्टार कैंपेनर मिला है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के लागू कराने की पहल से लेकर, पीएफआई बैन, या गोरक्षा कानून, अल्पसंख्यक जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने के लिए विशिष्ट नीतिगत उपायों की मांग करना हो या ‘अवैध’ गांवों पर बुलडोजर चलाना हो, सरमा ने दक्षिणपंथी पार्टी के मुख्य एजेंडों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक्सपर्ट ने बताया हिमंत को इलेक्शन मैनेजरशिलॉन्ग स्थित नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी (NEHU) के प्रफेसर प्रसेनजीत बिस्वास ने चुनावों में हिमंत बिस्व सरमा की भूमिका का विश्लेषण किया। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हिमंत ने बीजेपी को अच्छा लीडरशिप दिया है। बीजेपी ने उन्हें नॉर्थ ईस्ट के फेस के तौर पर प्रोजेक्ट किया है। हिमंत सरमा नॉर्थ ईस्ट स्टेट इलेक्शन में बीजेपी के चीफ इलेक्शन मैनेजर के रूप में उभरे हैं।’हालांकि प्रफेसर प्रसेनजीत कहते हैं, ‘इस चुनाव में हिमंत की भूमिका फोरफ्रंट में न रहकर बैकग्राउंड में रही।’ उन्होंने बताया, ‘सिर्फ त्रिपुरा में वह आगे उभर कर आए क्योंकि वह त्रिपुरा में लोग बांग्ला समझते हैं और हिमंत उनसे सहजता से बात कर लेते हैं। इसके उलट नगालैंड में बॉर्डर विवाद को लेकर हिमंत की छवि को नुकसान हुआ है। वहीं पिछले साल असम-मेघालय बॉर्डर पर जो फायरिंग केस हुआ उससे भी उनकी इमेज डैमेज हुई है।”तीनों राज्यों में बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरा’प्रफेसर प्रसेनजीत ने बताया कि इस बार तीनों राज्यों के चुनाव में बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरा है। उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा में बीजेपी की जीत का मार्जिन कम रहा। तिपरा मोथा और लेफ्ट कांग्रेस में वोटों का बंटवारा हुआ जिससे बीजेपी को लगभग 10 सीटों पर फायदा हुआ। त्रिपुरा में तिपरा मोथा अलग तिपरा लैंड का मांग कर रहे हैं। इस मांग को बीजेपी कैसे हैंडल करेगी इसका कोई चारा नहीं है।’मेघालय पर फिलॉसफी के प्रसेनजीत ने कहा, ‘मेघालय में फ्रैक्चर्ड मैंडेट हुआ है। बीजेपी के पास 2 सीटें हैं। बीजेपी के साथ मिलकर भी कोनराड अकेले बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाएंगे। उन्हें क्षेत्रीय दलों पर निर्भर रहना होगा। लोगों ने ऐंटी बीजेपी प्लैंक में इस बार वोटिंग की है। रीजनल पार्टियां जो गठबंधन में शामिल थीं वे भी एनपीपी और बीजेपी से निराश दिखे। इस बार यहां नैचुरल अलायंस संभव नहीं है।”नगालैंड को मिलेगा नया विपक्षी दल’नगालैंड पर प्रफेसर प्रसेनजीत ने बताया, ‘नगालैंड में वोटिंग फीसदी कांग्रेस का बढ़ गया है। एनसीपी ने कुछ सीटें जीती है, रामदास अठावले की पार्टी भी जीत गई है। विपक्ष का जो स्पेस खाली हो गया था उसमें नई पार्टी आ गई है। यहां एनडीपीपी के पीछे NSCN-IM का सपोर्ट है जिस वजह से वह एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाती दिख रही है।’