नई दिल्ली: सरकार ने रविवार को 6 नए चेहरों को राज्यपाल नियुक्त किया, जिनमें नजीर भी शामिल हैं। वह राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे।नजीर, राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद, तीन तलाक जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे थे। नजीर को राज्यपाल नियुक्त किए जाने के फैसले की कांग्रेस ने आलोचना की है। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि उन्हें यह समझना चाहिए कि वे अब भारत को निजी जागीर नहीं मान सकते। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राज्यपाल की नियुक्ति पर एक बार फिर से पूरा इको सिस्टम एक्टिव है। उन्हें बेहतर तरीके से यह समझना चाहिए कि वे अब भारत को अपनी निजी जागीर नहीं मान सकते। अब भारत संविधान के नियमों के अनुसार चलेगा। बीजेपी ने कहा है कि इस तरह की नियुक्तियों के उदाहरण अतीत में भी देखने को मिले हैं और संविधान द्वारा इस पर पाबंदी नहीं लगाई है।कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल नियुक्त किये जाने को लेकर रविवार को सरकार की आलोचना करते हुए इस तरह की नियुक्तियों के खिलाफ बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली की टिप्पणियों का जिक्र किया। साथ ही, इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा करार दिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें जेटली को 2012 में यह कहते सुना जा सकता है कि रिटायरमेंट से पूर्व के फैसले रिटायर होने के बाद पद पाने की आकांक्षा से प्रभावित होते हैं। रमेश ने वीडियो के साथ किये गये ट्वीट में कहा, इस बारे में पर्याप्त सबूत पिछले तीन-चार वर्षों में निश्चित रूप से मिला है।