हाई कोर्ट ने कहा, समाज में जाएगा गलत संदेश
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि फैजल और उनके भाई ने जो अपराध किया है, उसने इस द्वीपीय क्षेत्र के समाज को स्तब्ध कर दिया है जहां बहुत कम अपराध होते हैं। फैजल के भाई एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। लक्षद्वीप प्रशासन ने कहा था कि इनकी रिहाई से समाज में गलत संदेश जाएगा। मामले में 37 आरोपी थे। इनमें से दो की मौत हो गई और उनके खिलाफ मुकदमा बंद कर दिया गया था। बाकी 35 आरोपियों में से पूर्व सांसद और उनके भाई समेत चार लोगों को दोषी करार दिया गया तथा 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गयी, वहीं बाकी को बरी कर दिया गया।
हाई कोर्ट ने नहीं माना सरकार का तर्क
न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि इस तरह के कदम को एक महंगे पुन: चुनाव से बचने के लिए आवश्यक है। यह तथ्य भी है कि इस तरह से मंहगी चुनाव प्रक्रिया के बाद चुने गए उम्मीदवार का कार्यकाल केवल 15 महीने का होगा। अदालत केंद्र सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं थी कि दोष सिद्ध होने पर अयोग्यता तुरंत प्रभावी हो जाती है और अदालत के स्टे जारी करने पर भी सांसद की सदस्यता को पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है।
‘सजा मिलते ही सदस्यता खत्म नहीं’
एचसी ने 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले (लोक प्रहरी बनाम भारत के चुनाव आयोग और अन्य) का हवाला देते हुए कहा कि अगर अपीलीय अदालत दोषसिद्धि पर रोक लगाती है, तो अयोग्यता समाप्त हो जाएगी। अदालत ने कहा कि जबकि सांसद सीबीआई के दो मामलों और स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले का सामना कर रहे हैं, उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है और निर्दोषता का लाभ उन्हें देना होगा। हालांकि राजनीति में शुद्धता आवश्यक है। अदालत ने कहा कि अपील एक वैधानिक अधिकार है और यह अंतिमता केवल अदालत के फैसले से जुड़ी है।यह मामला 2009 के लोकसभा चुनाव के दिन कांग्रेस कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह पर कथित हमले से जुड़ा है। यह आरोप लगाया गया था कि अपीलकर्ताओं ने 33 अन्य लोगों के साथ एक गैरकानूनी सभा का गठन किया और शिकायतकर्ता को मारने के इरादे से हथियारों से नुकसान पहुंचाया।