Karnataka Elections 2023: कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि गरीबी और बेरोजगारी भी हैं अहम मुद्दे, जानें जनता का चुनावी मूड

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि स्थानीय स्तर पर कई ऐसे मुद्दे हैं, जो यह तय करेंगे कि इस बार कौन सा दल सत्ता की बागडोर संभालेगा। सत्तारुढ़ बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कई बड़े दावे किए हैं। तो वहीं भाजपा ‘मोदी मैजिक’ के सहारे चुनाव जीतने के प्रयास में है। हालांकि कर्नाचक की जनता के लिए कौन-कौन से मुद्दे प्रभावी हैं और मतदाता इन मुद्दों पर क्या सोचते हैं। यह बड़ा सवाल है। 10 मई को कर्नाटक में मतदान होने हैं। बेरोजगारी बना सबसे बड़ा मुद्दाकर्नाटक चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। बता दें कि गरीबी के बाद जो दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है वह बेरोजगारी है। जहां राज्य के 25 फीसदी लोग गरीबी को लेकर चिंतित हैं तो वहीं राज्य के युवा बेरोजगारी को लेकर परेशान हैं। ग्रामीण कर्नाटक के वोटरों के लिए गरीबी एक बड़ा मुद्दा है। जनता का मानना है कि पिछले 5 वर्षों में कई चीजों के दामों में वृद्धि हुई है। जिसके कारण इसका सीधा असर उनके जेब पर पड़ा है।इसे भी पढ़ें: Rahul Gandhi ने प्रधानमंत्री पर साधा निशाना कहा- कर्नाटक चुनाव आपके बारे में नहीं हैभ्रष्टाचार का मुद्दावहीं 51 फीसदी लोगों का मानना है कि बीते 5 सालों में राज्य में भ्रष्टाचार काफी बढ़ा है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार पहले जैसा ही बना हुआ है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कई बार अन्य दलों ने सत्तारुढ़ बीजेपी को इस मामले पर घेरा है। हाल ही में राहुल गांधी ने राज्य की भाजपा सरकार को चोरी की सरकार बताया था। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने जनता से 40 फीदसी कमीशन लिया है।आरक्षण का मुद्दाराज्य की बोम्मई सरकार द्वारा मुस्लिम आरक्षण खत्म करने पर भी राज्य में यह मुद्दा चर्चाओं में बना हुआ है। राज्य सरकार ने मुस्लिमों के लिए 4 फीसदी आरक्षण को खत्म करने और वोक्कालिगा-लिंगायत के लिए नए कोटे का ऐलान किया था। जिसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंच गया था। हालांकि नई कोटा नीति के समर्थक अधिकतर बीजेपी के पक्ष में हैं। भाजपा का यह फैसला वोक्कालिग और लिंगायत समुदाय को अपनी ओर करने का कदम माना जा रहा है।राज्य सरकार से कितना संतुष्ट जनताकेंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। हालांकि जहां 27 फीसदी लोगों का मानना है कि वह सरकार के कामकाज से पूरी तरह संतुष्ट हैं। तो वहीं दूसरी ओर 36 फीसदी लोग सरकार के काम काज से कुछ हद तक ही संतुष्ट नजर आए। जहां एक ओर कांग्रेस सत्ता में आने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। तो वहीं भाजपा के भी कई दिग्गज नेता दक्षिण के दुर्ग को बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।