करहल और जसवंतनगर ने हमेशा भरी है SP की झोली, इस बार कितना खरा उतरेंगे वोटर्स?

मैनपुरी: जसवंतनगर के ताखा ब्लॉक के चुनावी मंच पर बुधवार को सपा उम्मीदवार डिंपल यादव के प्रचार के लिए अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भी मौजूद थे। अखिलेश-शिवपाल आपसी रिश्तों की सहजता जताने के साथ यह बताना नहीं भूले कि जसवंतनगर की नेताजी के लिए क्या अहमियत थी। पिछले दस दिनों में यह दूसरी बार था, जब जसवंतनगर में शिवपाल-अखिलेश एक मंच पर थे। दरअसल मैनपुरी का गढ़ बचाने के लिए सपा ने अपनी उम्मीदें सबसे अधिक उन विधान सभाओं से जोड़ी हैं, जिन्होंने हर बार सपा की जीत की जमीन तैयार की है। जसवंतनगर उनमें से एक है।

मैनपुरी की पांच विधानसभाओं में जसवंतनगर और करहल ऐसी हैं, जिन्होंने हमेशा सैफई परिवार की झोली वोटों से भरी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को करहल से 1.02 लाख और जसवंतनगर से 1.65 लाख वोटों की लीड मिली थी। जसवंतनगर में सपा के पक्ष में एकतरफा वोटिंग का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां भाजपा उम्मीदवार को महज 25 हजार वोट मिले थे। 2019 में सीधी लड़ाई में मुलायम जब महज 94 हजार वोटों से जीते थे, तब भी उनकी लाज जसवंतनगर व करहल ने ही बचाई थी। करहल से मुलायम को 38 हजार और जसवंतनगर से 62 हजार वोटों की लीड मिली थी, जिसने मैनपुरी के मामूली अंतर व भोगांव में मिली हार को पाट दिया।

‘घर’ में सबसे ज्यादा मेहनत
जिस सैफई ब्लॉक में अखिलेश यादव का घर है, वहां भी डिंपल यादव ने सोमवार को जनसंपर्क कर वोट व आशीर्वाद मांगा। सैफई जसवंतनगर विधानसभा का हिस्सा है। यहां के विधायक शिवपाल यादव ने अपनी पूरी ताकत ही इसी क्षेत्र में झोंक रखी है। पिछले दस दिन में अखिलेश व डिंपल चार बार जसवंतनगर विधानसभा में घूम चुके हैं, जिसमें तीन बार अखिलेश-शिवपाल एक साथ मंच पर थे। वहीं अपनी विधानसभा करहल में भी 21 और 25 नवंबर को अखिलेश ने प्रचार किया जबकि 23 और 29 को वहां डिंपल प्रचार के लिए पहुंची। दरअसल, भाजपा से सीधी लड़ाई के पेचीदा समीकरणों में सपा की उम्मीद इन दोनों विधानसभाओं से अधिक से अधिक वोट बटोरने की है, जिससे भोगांव या मैनपुरी से संभावित चुनौतियों की धार कुंद की जा सके। इन दोनों विधानसभाओं में भाजपा काबिज है।