
चीन के जासूसी जहाज पर लगातार नजर रखे हुए है भारत
चीन के जासूसी जहाज यूआन वैंग-5 ने सोमवार सुबह इंडोनेशिया के सुंडा जलडमरूमध्य (Sunda Strait) के जरिए हिंद महासागर में दस्तक दी। सतर्क भारत ने उसे तत्काल ट्रैक कर लिया। रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उसके बाद से ही भारत चीन के इस रिसर्च और स्पेस-ट्रैकिंग जहाज की हर हलचल पर करीबी नजर रखे हुए हैं।
अगले हफ्ते अग्नि-5 का टेस्ट करने की तैयारी में भारत
20 हजार टन वजनी युआन वैंग-5 जासूसी उपकरणों से लैस है। उस पर विशाल एंटीना, अडवांस्ड सेंसस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे हुए हैं जिस पर करीब 400 क्रू मेंबर तैनात हैं। खास बात ये है कि चीन के इस जासूसी विमान ने हिंद महासागर में तब दस्तक दी है जब कुछ ही दिन पहले भारत ने प्रस्तावित मिसाइल परीक्षण को लेकर NOTAM (नोटिस टु एयरमैन) जारी किया था। उसके तहत बंगाल की खाड़ी के ऊपर 15-16 दिसंबर को मिसाइल टेस्ट की वजह से ‘नो फ्लाई जोन’ की जानकारी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि उस दौरान भारत अपनी सबसे घातक मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण करने वाला है। यह 5000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती है। अग्नि-5 को ट्राइ-सर्विस स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड (SFC) में शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। तीन चरणों वाले अग्नि-5 का पहला ‘यूजर ट्रायल’ अक्टूबर 2021 में किया गया था। ये मिसाइल चीन के सुदूर उत्तर तक टारगेट को नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।
हंबनटोटा बंदरगाह…भारत के लिए चिंता की बात
फिलहाल अब देखना यह होगा कि मिसाइट टेस्ट पहले से तय समय पर किया जाता है या उसे कुछ दिनों के लिए टाला जाएगा। वैसे भी सभी देशों को फ्रीडम ऑफ नैविगेशन के तहत इंटरनैशनल वॉटर में अपने जहाज को लाने-ले जाने का अधिकार है। यही वजह है कि चीन के जासूसी जहाज के बार-बार हिंद महासागर में मंडराने पर भारत आपत्ति भी नहीं जता सकता।
चीन का जासूसी जहाज नियमित तौर पर हिंद महासागर में मंडरा रहा है। भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि चीन भविष्य में श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का इस्तेमाल अपनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए नेवी बेस के तौर पर कर सकता है।