रांची: (JMM) प्रमुख शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन ने सात अन्य विधायकों के साथ शुक्रवार को चंपई सोरेन के नेतृत्व में बनी नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। बसंत सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई हैं। हेमंत सोरेन कथित भूमि घोटाले के मामले में फिलहाल जेल में हैं। दरअसल, शुक्रवार को झारखंड के 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल में जिन नए चेहरों को शामिल किया गया है, उनमें जेएमएम के चाईबासा से विधायक दीपक बिरुआ और दुमका से बसंत सोरेन हैं। वहीं अंतिम समय में नाम कटने से जेएएमएम नेता बैद्यनाथ राम नाराज हैं। मंत्रिमंडल में कौन-कौन हुए शामिलहेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल रहे और अब चंपई सोरेन के मंत्रिमंडल में भी शामिल किये गये नेताओं में जेएमएम के मिथिलेश कुमार ठाकुर, हफीजुल हसन और बेबी देवी के अलावा कांग्रेस के रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख शामिल हैं। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद मंत्रियों के विभागों का आवंटन भी कर दिया गया है। अंतिम समय में नाम गायबदरअसल, शुक्रवार को 8 विधायकों ने शपथ लिया। शपथ लेने वालों में डॉ रामेश्वर उरांव, दीपक बिरुआ, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख, मिथिलेश ठाकुर, बसंत सोरेन, हफीजुल हसन और बेबी देवी शामिल रहीं। हैरान करने वाली बात ये रही कि शपथ ग्रहण के ठीक पहले बैद्यनाथ राम का नाम आखिरी समय में काटा दिया गया। जबकि बैद्यनाथ राम का नाम राजभवन को भेजी गई सूची में शामिल था। अब इसको लेकर सियासत तेज है। बैद्यनाथ राम ने दी धमकीJMM नेता बैद्यनाथ राम ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका नाम अंतिम समय में मंत्री पद से हटा दिया गया। मंत्री नहीं बनाए जाने पर बैद्यनाथ राम ने धमकी देते हुए कहा कि अगर उन्हें दो दिन में मंत्री नहीं बनाया गया तो वह पार्टी छोड़ देंगे। दूसरी ओर पुराने चेहरों को फिर से मंत्री बनाए जाने से कांग्रेस के 12 विधायक नाराज हो गए हैं। दरअसल, कांग्रेस के आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेखा और बन्ना गुप्गुता को चंपाई सोरेन की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। ये सभी हेमंत सोरेन की कैबिनेट में भी मंत्री थे। नाराज विधायकों की मांग है कि नए चेहरों को मंत्री बनाया जाए।झारखंड में सियासत तेजचंपई सोरेन कैबिनेट विस्तार को लेकर झारखंड में सियासत तेज है। बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष किशुन कुमार दास ने कहा कि जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी का दलित विरोधी चेहरा फिर से एक बार सामने आ गया। जेएमएम को दलित की भागीदारी एक बार फिर पसंद नहीं आया। यही कारण कि अखिरी समय में नाम काट दिया गया। वहीं, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि मंत्रिमंडल का स्वरूप सरकार की सोच, नीति और नीयत को प्रदर्शित करता है। उन्होंने अफसोस जताया कि इस बार भी अनुसूचित जाति समुदाय को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। मुख्यमंत्री से उम्मीद थी कि राज्य की बड़ी आबादी जो 50 महीनों से नेतृत्वविहीन है, उन्हें सरकार में नेतृत्व मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।